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Surah An-Nahl Ayahs #40 Translated in Hindi

وَلَقَدْ بَعَثْنَا فِي كُلِّ أُمَّةٍ رَسُولًا أَنِ اعْبُدُوا اللَّهَ وَاجْتَنِبُوا الطَّاغُوتَ ۖ فَمِنْهُمْ مَنْ هَدَى اللَّهُ وَمِنْهُمْ مَنْ حَقَّتْ عَلَيْهِ الضَّلَالَةُ ۚ فَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَانْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِينَ
और हमने तो हर उम्मत में एक (न एक) रसूल इस बात के लिए ज़रुर भेजा कि लोगों ख़ुदा की इबादत करो और बुतों (की इबादत) से बचे रहो ग़रज़ उनमें से बाज़ की तो ख़ुदा ने हिदायत की और बाज़ के (सर) पर गुमराही सवार हो गई तो ज़रा तुम लोग रुए ज़मीन पर चल फिर कर देखो तो कि (पैग़म्बराने ख़ुदा के) झुठलाने वालों को क्या अन्जाम हुआ
إِنْ تَحْرِصْ عَلَىٰ هُدَاهُمْ فَإِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي مَنْ يُضِلُّ ۖ وَمَا لَهُمْ مِنْ نَاصِرِينَ
(ऐ रसूल) अगर तुमको इन लोगों के राहे रास्त पर जाने का हौका है (तो बे फायदा) क्योंकि ख़ुदा तो हरगिज़ उस शख़्श की हिदायत नहीं करेगा जिसको (नाज़िल होने की वजह से) गुमराही में छोड़ देता है और न उनका कोई मददगार है
وَأَقْسَمُوا بِاللَّهِ جَهْدَ أَيْمَانِهِمْ ۙ لَا يَبْعَثُ اللَّهُ مَنْ يَمُوتُ ۚ بَلَىٰ وَعْدًا عَلَيْهِ حَقًّا وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
(कि अज़ाब से बचाए) और ये कुफ्फार ख़ुदा की जितनी क़समें उनके इमकान में तुम्हें खा (कर कहते) हैं कि जो शख़्श मर जाता है फिर उसको ख़ुदा दोबारा ज़िन्दा नहीं करेगा (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ ज़रुर ऐसा करेगा इस पर अपने वायदे की (वफा) लाज़िम व ज़रुरी है मगर बहुतेरे आदमी नहीं जानते हैं
لِيُبَيِّنَ لَهُمُ الَّذِي يَخْتَلِفُونَ فِيهِ وَلِيَعْلَمَ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّهُمْ كَانُوا كَاذِبِينَ
(दोबारा ज़िन्दा करना इसलिए ज़रुरी है) कि जिन बातों पर ये लोग झगड़ा करते हैं उन्हें उनके सामने साफ वाज़ेए कर देगा और ताकि कुफ्फार ये समझ लें कि ये लोग (दुनिया में) झूठे थे
إِنَّمَا قَوْلُنَا لِشَيْءٍ إِذَا أَرَدْنَاهُ أَنْ نَقُولَ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ
हम जब किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करते हैं तो हमारा कहना उसके बारे में इतना ही होता है कि हम कह देते हैं कि 'हो जा' बस फौरन हो जाती है (तो फिर मुर्दों का जिलाना भी कोई बात है)

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