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Surah Al-Fajr Ayahs #19 Translated in Hindi

فَأَمَّا الْإِنْسَانُ إِذَا مَا ابْتَلَاهُ رَبُّهُ فَأَكْرَمَهُ وَنَعَّمَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَكْرَمَنِ
लेकिन इन्सान जब उसको उसका परवरदिगार (इस तरह) आज़माता है कि उसको इज्ज़त व नेअमत देता है, तो कहता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे इज्ज़त दी है
وَأَمَّا إِذَا مَا ابْتَلَاهُ فَقَدَرَ عَلَيْهِ رِزْقَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَهَانَنِ
मगर जब उसको (इस तरह) आज़माता है कि उस पर रोज़ी को तंग कर देता है बोल उठता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे ज़लील किया
كَلَّا ۖ بَلْ لَا تُكْرِمُونَ الْيَتِيمَ
हरगिज़ नहीं बल्कि तुम लोग न यतीम की ख़ातिरदारी करते हो
وَلَا تَحَاضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ
और न मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब देते हो
وَتَأْكُلُونَ التُّرَاثَ أَكْلًا لَمًّا
और मीरारा के माल (हलाल व हराम) को समेट कर चख जाते हो

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