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Surah Al-Fajr Ayahs #20 Translated in Hindi

وَأَمَّا إِذَا مَا ابْتَلَاهُ فَقَدَرَ عَلَيْهِ رِزْقَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَهَانَنِ
मगर जब उसको (इस तरह) आज़माता है कि उस पर रोज़ी को तंग कर देता है बोल उठता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे ज़लील किया
كَلَّا ۖ بَلْ لَا تُكْرِمُونَ الْيَتِيمَ
हरगिज़ नहीं बल्कि तुम लोग न यतीम की ख़ातिरदारी करते हो
وَلَا تَحَاضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ
और न मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब देते हो
وَتَأْكُلُونَ التُّرَاثَ أَكْلًا لَمًّا
और मीरारा के माल (हलाल व हराम) को समेट कर चख जाते हो
وَتُحِبُّونَ الْمَالَ حُبًّا جَمًّا
और माल को बहुत ही अज़ीज़ रखते हो

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