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Surah Al-Anaam Ayahs #58 Translated in Hindi

وَإِذَا جَاءَكَ الَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِآيَاتِنَا فَقُلْ سَلَامٌ عَلَيْكُمْ ۖ كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلَىٰ نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ۖ أَنَّهُ مَنْ عَمِلَ مِنْكُمْ سُوءًا بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابَ مِنْ بَعْدِهِ وَأَصْلَحَ فَأَنَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ
और जो लोग हमारी आयतों पर ईमान लाए हैं तुम्हारे पास ऑंए तो तुम सलामुन अलैकुम (तुम पर ख़ुदा की सलामती हो) कहो तुम्हारे परवरदिगार ने अपने ऊपर रहमत लाज़िम कर ली है बेशक तुम में से जो शख़्श नादानी से कोई गुनाह कर बैठे उसके बाद फिर तौबा करे और अपनी हालत की (असलाह करे ख़ुदा उसका गुनाह बख्श देगा क्योंकि) वह यक़ीनी बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
وَكَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ الْآيَاتِ وَلِتَسْتَبِينَ سَبِيلُ الْمُجْرِمِينَ
और हम (अपनी) आयतों को यूं तफ़सील से बयान करते हैं ताकि गुनाहगारों की राह (सब पर) खुल जाए और वह इस पर न चले
قُلْ إِنِّي نُهِيتُ أَنْ أَعْبُدَ الَّذِينَ تَدْعُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ ۚ قُلْ لَا أَتَّبِعُ أَهْوَاءَكُمْ ۙ قَدْ ضَلَلْتُ إِذًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُهْتَدِينَ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मुझसे उसकी मनाही की गई है कि मैं ख़ुदा को छोड़कर उन माबूदों की इबादत करुं जिन को तुम पूजा करते हो (ये भी) कह दो कि मै तो तुम्हारी (नाफसानी) ख्वाहिश पर चलने का नहीं (वरना) फिर तो मै गुमराह हो जाऊॅगा और हिदायत याफता लोगों में न रहूँगा
قُلْ إِنِّي عَلَىٰ بَيِّنَةٍ مِنْ رَبِّي وَكَذَّبْتُمْ بِهِ ۚ مَا عِنْدِي مَا تَسْتَعْجِلُونَ بِهِ ۚ إِنِ الْحُكْمُ إِلَّا لِلَّهِ ۖ يَقُصُّ الْحَقَّ ۖ وَهُوَ خَيْرُ الْفَاصِلِينَ
तुम कह दो कि मै तो अपने परवरदिगार की तरफ से एक रौशन दलील पर हूं और तुमने उसे झुठला दिया (तो) तुम जिस की जल्दी करते हो (अज़ाब) वह कुछ मेरे पास (एख्तियार में) तो है नहीं हुकूमत तो बस ज़रुर ख़ुदा ही के लिए है वह तो (हक़) बयान करता है और वह तमाम फैसला करने वालों से बेहतर है
قُلْ لَوْ أَنَّ عِنْدِي مَا تَسْتَعْجِلُونَ بِهِ لَقُضِيَ الْأَمْرُ بَيْنِي وَبَيْنَكُمْ ۗ وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِالظَّالِمِينَ
(उन लोगों से) कह दो कि जिस (अज़ाब) की तुम जल्दी करते हो अगर वह मेरे पास (एख्तियार में) होता तो मेरे और तुम्हारे दरमियान का फैसला कब का चुक गया होता और ख़ुदा तो ज़ालिमों से खूब वाक़िफ है

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