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Surah Al-Anaam Ayahs #60 Translated in Hindi

قُلْ إِنِّي نُهِيتُ أَنْ أَعْبُدَ الَّذِينَ تَدْعُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ ۚ قُلْ لَا أَتَّبِعُ أَهْوَاءَكُمْ ۙ قَدْ ضَلَلْتُ إِذًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُهْتَدِينَ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मुझसे उसकी मनाही की गई है कि मैं ख़ुदा को छोड़कर उन माबूदों की इबादत करुं जिन को तुम पूजा करते हो (ये भी) कह दो कि मै तो तुम्हारी (नाफसानी) ख्वाहिश पर चलने का नहीं (वरना) फिर तो मै गुमराह हो जाऊॅगा और हिदायत याफता लोगों में न रहूँगा
قُلْ إِنِّي عَلَىٰ بَيِّنَةٍ مِنْ رَبِّي وَكَذَّبْتُمْ بِهِ ۚ مَا عِنْدِي مَا تَسْتَعْجِلُونَ بِهِ ۚ إِنِ الْحُكْمُ إِلَّا لِلَّهِ ۖ يَقُصُّ الْحَقَّ ۖ وَهُوَ خَيْرُ الْفَاصِلِينَ
तुम कह दो कि मै तो अपने परवरदिगार की तरफ से एक रौशन दलील पर हूं और तुमने उसे झुठला दिया (तो) तुम जिस की जल्दी करते हो (अज़ाब) वह कुछ मेरे पास (एख्तियार में) तो है नहीं हुकूमत तो बस ज़रुर ख़ुदा ही के लिए है वह तो (हक़) बयान करता है और वह तमाम फैसला करने वालों से बेहतर है
قُلْ لَوْ أَنَّ عِنْدِي مَا تَسْتَعْجِلُونَ بِهِ لَقُضِيَ الْأَمْرُ بَيْنِي وَبَيْنَكُمْ ۗ وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِالظَّالِمِينَ
(उन लोगों से) कह दो कि जिस (अज़ाब) की तुम जल्दी करते हो अगर वह मेरे पास (एख्तियार में) होता तो मेरे और तुम्हारे दरमियान का फैसला कब का चुक गया होता और ख़ुदा तो ज़ालिमों से खूब वाक़िफ है
وَعِنْدَهُ مَفَاتِحُ الْغَيْبِ لَا يَعْلَمُهَا إِلَّا هُوَ ۚ وَيَعْلَمُ مَا فِي الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ۚ وَمَا تَسْقُطُ مِنْ وَرَقَةٍ إِلَّا يَعْلَمُهَا وَلَا حَبَّةٍ فِي ظُلُمَاتِ الْأَرْضِ وَلَا رَطْبٍ وَلَا يَابِسٍ إِلَّا فِي كِتَابٍ مُبِينٍ
और उसके पास ग़ैब की कुन्जियॉ हैं जिनको उसके सिवा कोई नही जानता और जो कुछ ख़ुशकी और तरी में है उसको (भी) वही जानता है और कोई पत्ता भी नहीं खटकता मगर वह उसे ज़रुर जानता है और ज़मीन की तारिक़ियों में कोई दाना और न कोई ख़ुश्क चीज़ है मगर वह नूरानी किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है
وَهُوَ الَّذِي يَتَوَفَّاكُمْ بِاللَّيْلِ وَيَعْلَمُ مَا جَرَحْتُمْ بِالنَّهَارِ ثُمَّ يَبْعَثُكُمْ فِيهِ لِيُقْضَىٰ أَجَلٌ مُسَمًّى ۖ ثُمَّ إِلَيْهِ مَرْجِعُكُمْ ثُمَّ يُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
वह वही (ख़ुदा) है जो तुम्हें रात को (नींद में एक तरह पर दुनिया से) उठा लेता हे और जो कुछ तूने दिन को किया है जानता है फिर तुम्हें दिन को उठा कर खड़ा करता है ताकि (ज़िन्दगी की) (वह) मियाद जो (उसके इल्म में) मुअय्युन है पूरी की जाए फिर (तो आख़िर) तुम सबको उसी की तरफ लौटना है फिर जो कुछ तुम (दुनिया में भला बुरा) करते हो तुम्हें बता देगा

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