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Surah An-Nisa Ayah #113 Translated in Hindi

وَلَوْلَا فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَتُهُ لَهَمَّتْ طَائِفَةٌ مِنْهُمْ أَنْ يُضِلُّوكَ وَمَا يُضِلُّونَ إِلَّا أَنْفُسَهُمْ ۖ وَمَا يَضُرُّونَكَ مِنْ شَيْءٍ ۚ وَأَنْزَلَ اللَّهُ عَلَيْكَ الْكِتَابَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُ ۚ وَكَانَ فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكَ عَظِيمًا
और (ऐ रसूल) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो उन (बदमाशों) में से एक गिरोह तुमको गुमराह करने का ज़रूर क़सद करता हालॉकि वह लोग बस अपने आप को गुमराह कर रहे हैं और यह लोग तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचा सकते और ख़ुदा ही ने तो (मेहरबानी की कि) तुमपर अपनी किताब और हिकमत नाज़िल की और जो बातें तुम नहीं जानते थे तुम्हें सिखा दी और तुम पर तो ख़ुदा का बड़ा फ़ज़ल है

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