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Surah Al-Isra Ayahs #44 Translated in Hindi

أَفَأَصْفَاكُمْ رَبُّكُمْ بِالْبَنِينَ وَاتَّخَذَ مِنَ الْمَلَائِكَةِ إِنَاثًا ۚ إِنَّكُمْ لَتَقُولُونَ قَوْلًا عَظِيمًا
(ऐ मुशरेकीन मक्का) क्या तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें चुन चुन कर बेटे दिए हैं और खुद बेटियाँ ली हैं (यानि) फरिश्ते इसमें शक़ नहीं कि बड़ी (सख्त) बात कहते हो
وَلَقَدْ صَرَّفْنَا فِي هَٰذَا الْقُرْآنِ لِيَذَّكَّرُوا وَمَا يَزِيدُهُمْ إِلَّا نُفُورًا
और हमने तो इसी क़ुरान में तरह तरह से बयान कर दिया ताकि लोग किसी तरह समझें मगर उससे तो उनकी नफरत ही बढ़ती गई
قُلْ لَوْ كَانَ مَعَهُ آلِهَةٌ كَمَا يَقُولُونَ إِذًا لَابْتَغَوْا إِلَىٰ ذِي الْعَرْشِ سَبِيلًا
(ऐ रसूल उनसे) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा के साथ जैसा ये लोग कहते हैं और माबूद भी होते तो अब तक उन माबूदों ने अर्श तक (पहुँचाने की कोई न कोई राह निकाल ली होती
سُبْحَانَهُ وَتَعَالَىٰ عَمَّا يَقُولُونَ عُلُوًّا كَبِيرًا
जो बेहूदा बातें ये लोग (ख़ुदा की निस्बत) कहा करते हैं वह उनसे बहुत बढ़के पाक व पाकीज़ा और बरतर है
تُسَبِّحُ لَهُ السَّمَاوَاتُ السَّبْعُ وَالْأَرْضُ وَمَنْ فِيهِنَّ ۚ وَإِنْ مِنْ شَيْءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمْدِهِ وَلَٰكِنْ لَا تَفْقَهُونَ تَسْبِيحَهُمْ ۗ إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا
सातों आसमान और ज़मीन और जो लोग इनमें (सब) उसकी तस्बीह करते हैं और (सारे जहाँन) में कोई चीज़ ऐसी नहीं जो उसकी (हम्द व सना) की तस्बीह न करती हो मगर तुम लोग उनकी तस्बीह नहीं समझते इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा बुर्दबार बख्शने वाला है

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