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Surah Al-Baqara Ayahs #149 Translated in Hindi

وَلَئِنْ أَتَيْتَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ بِكُلِّ آيَةٍ مَا تَبِعُوا قِبْلَتَكَ ۚ وَمَا أَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍ ۚ وَلَئِنِ اتَّبَعْتَ أَهْوَاءَهُمْ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ إِنَّكَ إِذًا لَمِنَ الظَّالِمِينَ
और अगर अहले किताब के सामने दुनिया की सारी दलीले पेश कर दोगे तो भी वह तुम्हारे क़िबले को न मानेंगें और न तुम ही उनके क़िबले को मानने वाले हो और ख़ुद अहले किताब भी एक दूसरे के क़िबले को नहीं मानते और जो इल्म क़ुरान तुम्हारे पास आ चुका है उसके बाद भी अगर तुम उनकी ख्वाहिश पर चले तो अलबत्ता तुम नाफ़रमान हो जाओगे
الَّذِينَ آتَيْنَاهُمُ الْكِتَابَ يَعْرِفُونَهُ كَمَا يَعْرِفُونَ أَبْنَاءَهُمْ ۖ وَإِنَّ فَرِيقًا مِنْهُمْ لَيَكْتُمُونَ الْحَقَّ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
जिन लोगों को हमने किताब (तौरैत वग़ैरह) दी है वह जिस तरह अपने बेटों को पहचानते है उसी तरह तरह वह उस पैग़म्बर को भी पहचानते हैं और उन में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो दीदए व दानिस्ता (जान बुझकर) हक़ बात को छिपाते हैं
الْحَقُّ مِنْ رَبِّكَ ۖ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِينَ
ऐ रसूल तबदीले क़िबला तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ है पस तुम कहीं शक करने वालों में से न हो जाना
وَلِكُلٍّ وِجْهَةٌ هُوَ مُوَلِّيهَا ۖ فَاسْتَبِقُوا الْخَيْرَاتِ ۚ أَيْنَ مَا تَكُونُوا يَأْتِ بِكُمُ اللَّهُ جَمِيعًا ۚ إِنَّ اللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
और हर फरीक़ के वास्ते एक सिम्त है उसी की तरफ वह नमाज़ में अपना मुँह कर लेता है पस तुम ऐ मुसलमानों झगड़े को छोड़ दो और नेकियों मे उन से लपक के आगे बढ़ जाओ तुम जहाँ कहीं होगे ख़ुदा तुम सबको अपनी तरफ ले आऐगा बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
وَمِنْ حَيْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۖ وَإِنَّهُ لَلْحَقُّ مِنْ رَبِّكَ ۗ وَمَا اللَّهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ
और (ऐ रसूल) तुम जहाँ से जाओ (यहाँ तक मक्का से) तो भी नमाज़ मे तुम अपना मुँह मस्ज़िदे मोहतरम (काबा) की तरफ़ कर लिया करो और बेशक ये नया क़िबला तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ है

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