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Surah Ya-Seen Ayahs #19 Translated in Hindi

قَالُوا مَا أَنْتُمْ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَمَا أَنْزَلَ الرَّحْمَٰنُ مِنْ شَيْءٍ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا تَكْذِبُونَ
वह लोग कहने लगे कि तुम लोग भी तो बस हमारे ही जैसे आदमी हो और खुदा ने कुछ नाज़िल (वाज़िल) नहीं किया है तुम सब के सब बस बिल्कुल झूठे हो
قَالُوا رَبُّنَا يَعْلَمُ إِنَّا إِلَيْكُمْ لَمُرْسَلُونَ
तब उन पैग़म्बरों ने कहा हमारा परवरदिगार जानता है कि हम यक़ीनन उसी के भेजे हुए (आए) हैं और (तुम मानो या न मानो)
وَمَا عَلَيْنَا إِلَّا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ
हम पर तो बस खुल्लम खुल्ला एहकामे खुदा का पहुँचा देना फर्ज़ है
قَالُوا إِنَّا تَطَيَّرْنَا بِكُمْ ۖ لَئِنْ لَمْ تَنْتَهُوا لَنَرْجُمَنَّكُمْ وَلَيَمَسَّنَّكُمْ مِنَّا عَذَابٌ أَلِيمٌ
वह बोले हमने तुम लोगों को बहुत नहस क़दम पाया कि (तुम्हारे आते ही क़हत में मुबतेला हुए) तो अगर तुम (अपनी बातों से) बाज़ न आओगे तो हम लोग तुम्हें ज़रूर संगसार कर देगें और तुमको यक़ीनी हमारा दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा
قَالُوا طَائِرُكُمْ مَعَكُمْ ۚ أَئِنْ ذُكِّرْتُمْ ۚ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ مُسْرِفُونَ
पैग़म्बरों ने कहा कि तुम्हारी बद शुगूनी (तुम्हारी करनी से) तुम्हारे साथ है क्या जब नसीहत की जाती है (तो तुम उसे बदफ़ाली कहते हो नहीं) बल्कि तुम खुद (अपनी) हद से बढ़ गए हो

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