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Surah An-Nisa Ayahs #39 Translated in Hindi

وَإِنْ خِفْتُمْ شِقَاقَ بَيْنِهِمَا فَابْعَثُوا حَكَمًا مِنْ أَهْلِهِ وَحَكَمًا مِنْ أَهْلِهَا إِنْ يُرِيدَا إِصْلَاحًا يُوَفِّقِ اللَّهُ بَيْنَهُمَا ۗ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلِيمًا خَبِيرًا
और ऐ हुक्काम (वक्त) अगर तुम्हें मियॉ बीवी की पूरी नाइत्तेफ़ाक़ी का तरफैन से अन्देशा हो तो एक सालिस (पन्च) मर्द के कुनबे में से एक और सालिस औरत के कुनबे में मुक़र्रर करो अगर ये दोनों सालिस दोनों में मेल करा देना चाहें तो ख़ुदा उन दोनों के दरमियान उसका अच्छा बन्दोबस्त कर देगा ख़ुदा तो बेशक वाक़िफ व ख़बरदार है
وَاعْبُدُوا اللَّهَ وَلَا تُشْرِكُوا بِهِ شَيْئًا ۖ وَبِالْوَالِدَيْنِ إِحْسَانًا وَبِذِي الْقُرْبَىٰ وَالْيَتَامَىٰ وَالْمَسَاكِينِ وَالْجَارِ ذِي الْقُرْبَىٰ وَالْجَارِ الْجُنُبِ وَالصَّاحِبِ بِالْجَنْبِ وَابْنِ السَّبِيلِ وَمَا مَلَكَتْ أَيْمَانُكُمْ ۗ إِنَّ اللَّهَ لَا يُحِبُّ مَنْ كَانَ مُخْتَالًا فَخُورًا
और ख़ुदा ही की इबादत करो और किसी को उसका शरीक न बनाओ और मॉ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और रिश्तेदार पड़ोसियों और अजनबी पड़ोसियों और पहलू में बैठने वाले मुसाहिबों और पड़ोसियों और ज़र ख़रीद लौन्डी और गुलाम के साथ एहसान करो बेशक ख़ुदा अकड़ के चलने वालों और शेख़ीबाज़ों को दोस्त नहीं रखता
الَّذِينَ يَبْخَلُونَ وَيَأْمُرُونَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ وَيَكْتُمُونَ مَا آتَاهُمُ اللَّهُ مِنْ فَضْلِهِ ۗ وَأَعْتَدْنَا لِلْكَافِرِينَ عَذَابًا مُهِينًا
ये वह लोग हैं जो ख़ुद तो बुख्ल करते ही हैं और लोगों को भी बुख्ल का हुक्म देते हैं और जो माल ख़ुदा ने अपने फ़ज़ल व (करम) से उन्हें दिया है उसे छिपाते हैं और हमने तो कुफ़राने नेअमत करने वालों के वास्ते सख्त ज़िल्लत का अज़ाब तैयार कर रखा है
وَالَّذِينَ يُنْفِقُونَ أَمْوَالَهُمْ رِئَاءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْآخِرِ ۗ وَمَنْ يَكُنِ الشَّيْطَانُ لَهُ قَرِينًا فَسَاءَ قَرِينًا
और जो लोग महज़ लोगों को दिखाने के वास्ते अपने माल ख़र्च करते हैं और न खुदा ही पर ईमान रखते हैं और न रोजे आख़ेरत पर ख़ुदा भी उनके साथ नहीं क्योंकि उनका साथी तो शैतान है और जिसका साथी शैतान हो तो क्या ही बुरा साथी है
وَمَاذَا عَلَيْهِمْ لَوْ آمَنُوا بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ وَأَنْفَقُوا مِمَّا رَزَقَهُمُ اللَّهُ ۚ وَكَانَ اللَّهُ بِهِمْ عَلِيمًا
अगर ये लोग ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाते और जो कुछ ख़ुदा ने उन्हें दिया है उसमें से राहे ख़ुदा में ख़र्च करते तो उन पर क्या आफ़त आ जाती और ख़ुदा तो उनसे ख़ूब वाक़िफ़ है

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