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Surah Al-Maeda Ayahs #82 Translated in Hindi

لُعِنَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَلَىٰ لِسَانِ دَاوُودَ وَعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ ۚ ذَٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَكَانُوا يَعْتَدُونَ
बनी इसराईल में से जो लोग काफ़िर थे उन पर दाऊद और मरियम के बेटे ईसा की ज़बानी लानत की गयी ये (लानत उन पर पड़ी तो सिर्फ) इस वजह से कि (एक तो) उन लोगों ने नाफ़रमानी की और (फिर हर मामले में) हद से बढ़ जाते थे
كَانُوا لَا يَتَنَاهَوْنَ عَنْ مُنْكَرٍ فَعَلُوهُ ۚ لَبِئْسَ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ
और किसी बुरे काम से जिसको उन लोगों ने किया बाज़ न आते थे (बल्कि उस पर बावजूद नसीहत अड़े रहते) जो काम ये लोग करते थे क्या ही बुरा था
تَرَىٰ كَثِيرًا مِنْهُمْ يَتَوَلَّوْنَ الَّذِينَ كَفَرُوا ۚ لَبِئْسَ مَا قَدَّمَتْ لَهُمْ أَنْفُسُهُمْ أَنْ سَخِطَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ وَفِي الْعَذَابِ هُمْ خَالِدُونَ
(ऐ रसूल) तुम उन (यहूदियों) में से बहुतेरों को देखोगे कि कुफ्फ़ार से दोस्ती रखते हैं जो सामान पहले से उन लोगों ने ख़ुद अपने वास्ते दुरूस्त किया है किस क़दर बुरा है (जिसका नतीजा ये है) कि (दुनिया में भी) ख़ुदा उन पर गज़बनाक हुआ और (आख़ेरत में भी) हमेशा अज़ाब ही में रहेंगे
وَلَوْ كَانُوا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَالنَّبِيِّ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْهِ مَا اتَّخَذُوهُمْ أَوْلِيَاءَ وَلَٰكِنَّ كَثِيرًا مِنْهُمْ فَاسِقُونَ
और अगर ये लोग ख़ुदा और रसूल पर और जो कुछ उनपर नाज़िल किया गया है ईमान रखते हैं तो हरगिज़ (उनको अपना) दोस्त न बनाते मगर उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं
لَتَجِدَنَّ أَشَدَّ النَّاسِ عَدَاوَةً لِلَّذِينَ آمَنُوا الْيَهُودَ وَالَّذِينَ أَشْرَكُوا ۖ وَلَتَجِدَنَّ أَقْرَبَهُمْ مَوَدَّةً لِلَّذِينَ آمَنُوا الَّذِينَ قَالُوا إِنَّا نَصَارَىٰ ۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّ مِنْهُمْ قِسِّيسِينَ وَرُهْبَانًا وَأَنَّهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُونَ
(ऐ रसूल) ईमान लाने वालों का दुशमन सबसे बढ़के यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे और ईमानदारों का दोस्ती में सबसे बढ़के क़रीब उन लोगों को पाओगे जो अपने को नसारा कहते हैं क्योंकि इन (नसारा) में से यक़ीनी बहुत से आमिल और आबिद हैं और इस सबब से (भी) कि ये लोग हरगिज़ शेख़ी नहीं करते

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