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Surah Al-Isra Ayahs #69 Translated in Hindi

إِنَّ عِبَادِي لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطَانٌ ۚ وَكَفَىٰ بِرَبِّكَ وَكِيلًا
बेशक जो मेरे (ख़ास) बन्दें हैं उन पर तेरा ज़ोर नहीं चल (सकता) और कारसाज़ी में तेरा परवरदिगार काफी है
رَبُّكُمُ الَّذِي يُزْجِي لَكُمُ الْفُلْكَ فِي الْبَحْرِ لِتَبْتَغُوا مِنْ فَضْلِهِ ۚ إِنَّهُ كَانَ بِكُمْ رَحِيمًا
लोगों) तुम्हारा परवरदिगार वह (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जो तुम्हारे लिए समन्दर में जहाज़ों को चलाता है ताकि तुम उसके फज़ल व करम (रोज़ी) की तलाश करो इसमें शक़ नहीं कि वह तुम पर बड़ा मेहरबान है
وَإِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فِي الْبَحْرِ ضَلَّ مَنْ تَدْعُونَ إِلَّا إِيَّاهُ ۖ فَلَمَّا نَجَّاكُمْ إِلَى الْبَرِّ أَعْرَضْتُمْ ۚ وَكَانَ الْإِنْسَانُ كَفُورًا
और जब समन्दर में कभी तुम को कोई तकलीफ पहुँचे तो जिनकी तुम इबादत किया करते थे ग़ायब हो गए मगर बस वही (एक ख़ुदा याद रहता है) उस पर भी जब ख़ुदा ने तुम को छुटकारा देकर खुशकी तक पहुँचा दिया तो फिर तुम इससे मुँह मोड़ बैठें और इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है
أَفَأَمِنْتُمْ أَنْ يَخْسِفَ بِكُمْ جَانِبَ الْبَرِّ أَوْ يُرْسِلَ عَلَيْكُمْ حَاصِبًا ثُمَّ لَا تَجِدُوا لَكُمْ وَكِيلًا
तो क्या तुम उसको इस का भी इत्मिनान हो गया कि वह तुम्हें खुश्की की तरफ (ले जाकर) (क़ारुन की तरह) ज़मीन में धंसा दे या तुम पर (क़ौम) लूत की तरह पत्थरों का मेंह बरसा दे फिर (उस वक्त) तुम किसी को अपना कारसाज़ न पाओगे
أَمْ أَمِنْتُمْ أَنْ يُعِيدَكُمْ فِيهِ تَارَةً أُخْرَىٰ فَيُرْسِلَ عَلَيْكُمْ قَاصِفًا مِنَ الرِّيحِ فَيُغْرِقَكُمْ بِمَا كَفَرْتُمْ ۙ ثُمَّ لَا تَجِدُوا لَكُمْ عَلَيْنَا بِهِ تَبِيعًا
या तुमको इसका भी इत्मेनान हो गया कि फिर तुमको दोबारा इसी समन्दर में ले जाएगा उसके बाद हवा का एक ऐसा झोका जो (जहाज़ के) परख़चे उड़ा दे तुम पर भेजे फिर तुम्हें तुम्हारे कुफ्र की सज़ा में डुबा मारे फिर तुम किसी को (ऐसा हिमायती) न पाओगे जो हमारा पीछा करे और (तुम्हें छोड़ा जाए)

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