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Surah Al-Hadid Ayahs #26 Translated in Hindi

مَا أَصَابَ مِنْ مُصِيبَةٍ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي أَنْفُسِكُمْ إِلَّا فِي كِتَابٍ مِنْ قَبْلِ أَنْ نَبْرَأَهَا ۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ
जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाज़िल होती हैं (वह सब) क़ब्ल इसके कि हम उन्हें पैदा करें किताब (लौह महफूज़) में (लिखी हुई) हैं बेशक ये ख़ुदा पर आसान है
لِكَيْلَا تَأْسَوْا عَلَىٰ مَا فَاتَكُمْ وَلَا تَفْرَحُوا بِمَا آتَاكُمْ ۗ وَاللَّهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُورٍ
ताकि जब कोई चीज़ तुमसे जाती रहे तो तुम उसका रंज न किया करो और जब कोई चीज़ (नेअमत) ख़ुदा तुमको दे तो उस पर न इतराया करो और ख़ुदा किसी इतराने वाले येख़ी बाज़ को दोस्त नहीं रखता
الَّذِينَ يَبْخَلُونَ وَيَأْمُرُونَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ ۗ وَمَنْ يَتَوَلَّ فَإِنَّ اللَّهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ
जो ख़ुद भी बुख्ल करते हैं और दूसरे लोगों को भी बुख्ल करना सिखाते हैं और जो शख़्श (इन बातों से) रूगरदानी करे तो ख़ुदा भी बेपरवा सज़ावारे हम्दोसना है
لَقَدْ أَرْسَلْنَا رُسُلَنَا بِالْبَيِّنَاتِ وَأَنْزَلْنَا مَعَهُمُ الْكِتَابَ وَالْمِيزَانَ لِيَقُومَ النَّاسُ بِالْقِسْطِ ۖ وَأَنْزَلْنَا الْحَدِيدَ فِيهِ بَأْسٌ شَدِيدٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ اللَّهُ مَنْ يَنْصُرُهُ وَرُسُلَهُ بِالْغَيْبِ ۚ إِنَّ اللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٌ
हमने यक़ीनन अपने पैग़म्बरों को वाज़े व रौशन मोजिज़े देकर भेजा और उनके साथ किताब और (इन्साफ़ की) तराज़ू नाज़िल किया ताकि लोग इन्साफ़ पर क़ायम रहे और हम ही ने लोहे को नाज़िल किया जिसके ज़रिए से सख्त लड़ाई और लोगों के बहुत से नफे (की बातें) हैं और ताकि ख़ुदा देख ले कि बेदेखे भाले ख़ुदा और उसके रसूलों की कौन मदद करता है बेशक ख़ुदा बहुत ज़बरदस्त ग़ालिब है
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا وَإِبْرَاهِيمَ وَجَعَلْنَا فِي ذُرِّيَّتِهِمَا النُّبُوَّةَ وَالْكِتَابَ ۖ فَمِنْهُمْ مُهْتَدٍ ۖ وَكَثِيرٌ مِنْهُمْ فَاسِقُونَ
और बेशक हम ही ने नूह और इबराहीम को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा और उनही दोनों की औलाद में नबूवत और किताब मुक़र्रर की तो उनमें के बाज़ हिदायत याफ्ता हैं और उन के बहुतेरे बदकार हैं

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