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Surah Al-Baqara Ayahs #48 Translated in Hindi

أَتَأْمُرُونَ النَّاسَ بِالْبِرِّ وَتَنْسَوْنَ أَنْفُسَكُمْ وَأَنْتُمْ تَتْلُونَ الْكِتَابَ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
और तुम लोगों से नेकी करने को कहते हो और अपनी ख़बर नहीं लेते हालाँकि तुम किताबे खुदा को (बराबर) रटा करते हो तो तुम क्या इतना भी नहीं समझते
وَاسْتَعِينُوا بِالصَّبْرِ وَالصَّلَاةِ ۚ وَإِنَّهَا لَكَبِيرَةٌ إِلَّا عَلَى الْخَاشِعِينَ
और (मुसीबत के वक्त) सब्र और नमाज़ का सहारा पकड़ो और अलबत्ता नमाज़ दूभर तो है मगर उन ख़ाक़सारों पर (नहीं) जो बख़ूबी जानते हैं
الَّذِينَ يَظُنُّونَ أَنَّهُمْ مُلَاقُو رَبِّهِمْ وَأَنَّهُمْ إِلَيْهِ رَاجِعُونَ
कि वह अपने परवरदिगार की बारगाह में हाज़िर होंगे और ज़रूर उसकी तरफ लौट जाएँगे
يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ اذْكُرُوا نِعْمَتِيَ الَّتِي أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَنِّي فَضَّلْتُكُمْ عَلَى الْعَالَمِينَ
ऐ बनी इसराइल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने पहले तुम्हें दी और ये (भी तो सोचो) कि हमने तुमको सारे जहान के लोगों से बढ़ा दिया
وَاتَّقُوا يَوْمًا لَا تَجْزِي نَفْسٌ عَنْ نَفْسٍ شَيْئًا وَلَا يُقْبَلُ مِنْهَا شَفَاعَةٌ وَلَا يُؤْخَذُ مِنْهَا عَدْلٌ وَلَا هُمْ يُنْصَرُونَ
और उस दिन से डरो (जिस दिन) कोई शख्स किसी की तरफ से न फिदिया हो सकेगा और न उसकी तरफ से कोई सिफारिश मानी जाएगी और न उसका कोई मुआवज़ा लिया जाएगा और न वह मदद पहुँचाए जाएँगे

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