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Surah Al-Baqara Ayahs #254 Translated in Hindi

وَلَمَّا بَرَزُوا لِجَالُوتَ وَجُنُودِهِ قَالُوا رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
(ग़रज़) जब ये लोग जालूत और उसकी फौज के मुक़ाबले को निकले तो दुआ की ऐ मेरे परवरदिगार हमें कामिल सब्र अता फरमा और मैदाने जंग में हमारे क़दम जमाए रख और हमें काफिरों पर फतेह इनायत कर
فَهَزَمُوهُمْ بِإِذْنِ اللَّهِ وَقَتَلَ دَاوُودُ جَالُوتَ وَآتَاهُ اللَّهُ الْمُلْكَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَهُ مِمَّا يَشَاءُ ۗ وَلَوْلَا دَفْعُ اللَّهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَفَسَدَتِ الْأَرْضُ وَلَٰكِنَّ اللَّهَ ذُو فَضْلٍ عَلَى الْعَالَمِينَ
फिर तो उन लोगों ने ख़ुदा के हुक्म से दुशमनों को शिकस्त दी और दाऊद ने जालूत को क़त्ल किया और ख़ुदा ने उनको सल्तनत व तदबीर तम्द्दुन अता की और इल्म व हुनर जो चाहा उन्हें गोया घोल के पिला दिया और अगर ख़ुदा बाज़ लोगों के ज़रिए से बाज़ का दफाए (शर) न करता तो तमाम रुए ज़मीन पर फ़साद फैल जाता मगर ख़ुदा तो सारे जहाँन के लोगों पर फज़ल व रहम करता है
تِلْكَ آيَاتُ اللَّهِ نَتْلُوهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّ ۚ وَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ
ऐ रसूल ये ख़ुदा की सच्ची आयतें हैं जो हम तुम को ठीक ठीक पढ़के सुनाते हैं और बेशक तुम ज़रुर रसूलों में से हो
تِلْكَ الرُّسُلُ فَضَّلْنَا بَعْضَهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ ۘ مِنْهُمْ مَنْ كَلَّمَ اللَّهُ ۖ وَرَفَعَ بَعْضَهُمْ دَرَجَاتٍ ۚ وَآتَيْنَا عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ الْبَيِّنَاتِ وَأَيَّدْنَاهُ بِرُوحِ الْقُدُسِ ۗ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ مَا اقْتَتَلَ الَّذِينَ مِنْ بَعْدِهِمْ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَتْهُمُ الْبَيِّنَاتُ وَلَٰكِنِ اخْتَلَفُوا فَمِنْهُمْ مَنْ آمَنَ وَمِنْهُمْ مَنْ كَفَرَ ۚ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ مَا اقْتَتَلُوا وَلَٰكِنَّ اللَّهَ يَفْعَلُ مَا يُرِيدُ
यह सब रसूल (जो हमने भेजे) उनमें से बाज़ को बाज़ पर फज़ीलत दी उनमें से बाज़ तो ऐसे हैं जिनसे ख़ुद ख़ुदा ने बात की उनमें से बाज़ के (और तरह पर) दर्जे बुलन्द किये और मरियम के बेटे ईसा को (कैसे कैसे रौशन मौजिज़े अता किये) और रूहुलकुदस (जिबरईल) के ज़रिये से उनकी मदद की और अगर ख़ुदा चाहता तो लोग इन (पैग़म्बरों) के बाद हुये वह अपने पास रौशन मौजिज़े आ चुकने पर आपस में न लड़ मरते मगर उनमें फूट पड़ गई पस उनमें से बाज़ तो ईमान लाये और बाज़ काफ़िर हो गये और अगर ख़ुदा चाहता तो यह लोग आपस में लड़ते मगर ख़ुदा वही करता है जो चाहता है
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَنْفِقُوا مِمَّا رَزَقْنَاكُمْ مِنْ قَبْلِ أَنْ يَأْتِيَ يَوْمٌ لَا بَيْعٌ فِيهِ وَلَا خُلَّةٌ وَلَا شَفَاعَةٌ ۗ وَالْكَافِرُونَ هُمُ الظَّالِمُونَ
ऐ ईमानदारों जो कुछ हमने तुमको दिया है उस दिन के आने से पहले (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो जिसमें न तो ख़रीदो फरोख्त होगी और न यारी (और न आशनाई) और न सिफ़ारिश (ही काम आयेगी) और कुफ़्र करने वाले ही तो जुल्म ढाते हैं

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