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Surah Al-Baqara Ayahs #195 Translated in Hindi

وَاقْتُلُوهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوهُمْ وَأَخْرِجُوهُمْ مِنْ حَيْثُ أَخْرَجُوكُمْ ۚ وَالْفِتْنَةُ أَشَدُّ مِنَ الْقَتْلِ ۚ وَلَا تُقَاتِلُوهُمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ حَتَّىٰ يُقَاتِلُوكُمْ فِيهِ ۖ فَإِنْ قَاتَلُوكُمْ فَاقْتُلُوهُمْ ۗ كَذَٰلِكَ جَزَاءُ الْكَافِرِينَ
और तुम उन (मुशरिकों) को जहाँ पाओ मार ही डालो और उन लोगों ने जहाँ (मक्का) से तुम्हें शहर बदर किया है तुम भी उन्हें निकाल बाहर करो और फितना परदाज़ी (शिर्क) खूँरेज़ी से भी बढ़ के है और जब तक वह लोग (कुफ्फ़ार) मस्ज़िद हराम (काबा) के पास तुम से न लडे तुम भी उन से उस जगह न लड़ों पस अगर वह तुम से लड़े तो बेखटके तुम भी उन को क़त्ल करो काफ़िरों की यही सज़ा है
فَإِنِ انْتَهَوْا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
फिर अगर वह लोग बाज़ रहें तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
وَقَاتِلُوهُمْ حَتَّىٰ لَا تَكُونَ فِتْنَةٌ وَيَكُونَ الدِّينُ لِلَّهِ ۖ فَإِنِ انْتَهَوْا فَلَا عُدْوَانَ إِلَّا عَلَى الظَّالِمِينَ
और उन से लड़े जाओ यहाँ तक कि फ़साद बाक़ी न रहे और सिर्फ ख़ुदा ही का दीन रह जाए फिर अगर वह लोग बाज़ रहे तो उन पर ज्यादती न करो क्योंकि ज़ालिमों के सिवा किसी पर ज्यादती (अच्छी) नहीं
الشَّهْرُ الْحَرَامُ بِالشَّهْرِ الْحَرَامِ وَالْحُرُمَاتُ قِصَاصٌ ۚ فَمَنِ اعْتَدَىٰ عَلَيْكُمْ فَاعْتَدُوا عَلَيْهِ بِمِثْلِ مَا اعْتَدَىٰ عَلَيْكُمْ ۚ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ مَعَ الْمُتَّقِينَ
हुरमत वाला महीना हुरमत वाले महीने के बराबर है (और कुछ महीने की खुसूसियत नहीं) सब हुरमत वाली चीजे एक दूसरे के बराबर हैं पस जो शख्स तुम पर ज्यादती करे तो जैसी ज्यादती उसने तुम पर की है वैसी ही ज्यादती तुम भी उस पर करो और ख़ुदा से डरते रहो और खूब समझ लो कि ख़ुदा परहेज़गारों का साथी है
وَأَنْفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَلَا تُلْقُوا بِأَيْدِيكُمْ إِلَى التَّهْلُكَةِ ۛ وَأَحْسِنُوا ۛ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ
और ख़ुदा की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक ख़ुदा नेकी करने वालों को दोस्त रखता है

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