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Surah Al-Baqara Ayahs #126 Translated in Hindi

يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ اذْكُرُوا نِعْمَتِيَ الَّتِي أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَنِّي فَضَّلْتُكُمْ عَلَى الْعَالَمِينَ
बनी इसराईल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंनं तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहाँन पर फज़ीलत दी
وَاتَّقُوا يَوْمًا لَا تَجْزِي نَفْسٌ عَنْ نَفْسٍ شَيْئًا وَلَا يُقْبَلُ مِنْهَا عَدْلٌ وَلَا تَنْفَعُهَا شَفَاعَةٌ وَلَا هُمْ يُنْصَرُونَ
और उस दिन से डरो जिस दिन कोई शख्स किसी की तरफ से न फिदया हो सकेगा और न उसकी तरफ से कोई मुआवेज़ा क़ुबूल किया जाएगा और न कोई सिफारिश ही फायदा पहुचाँ सकेगी, और न लोग मदद दिए जाएँगे
وَإِذِ ابْتَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ رَبُّهُ بِكَلِمَاتٍ فَأَتَمَّهُنَّ ۖ قَالَ إِنِّي جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ إِمَامًا ۖ قَالَ وَمِنْ ذُرِّيَّتِي ۖ قَالَ لَا يَنَالُ عَهْدِي الظَّالِمِينَ
(ऐ रसूल) बनी इसराईल को वह वक्त भी याद दिलाओ जब इबराहीम को उनके परवरदिगार ने चन्द बातों में आज़माया और उन्होंने पूरा कर दिया तो खुदा ने फरमाया मैं तुमको (लोगों का) पेशवा बनाने वाला हूँ (हज़रत इबराहीम ने) अर्ज़ की और मेरी औलाद में से फरमाया (हाँ मगर) मेरे इस अहद पर ज़ालिमों में से कोई शख्स फ़ायज़ नहीं हो सकता
وَإِذْ جَعَلْنَا الْبَيْتَ مَثَابَةً لِلنَّاسِ وَأَمْنًا وَاتَّخِذُوا مِنْ مَقَامِ إِبْرَاهِيمَ مُصَلًّى ۖ وَعَهِدْنَا إِلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ أَنْ طَهِّرَا بَيْتِيَ لِلطَّائِفِينَ وَالْعَاكِفِينَ وَالرُّكَّعِ السُّجُودِ
(ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब हमने ख़ानए काबा को लोगों के सवाब और पनाह की जगह क़रार दी और हुक्म दिया गया कि इबराहीम की (इस) जगह को नमाज़ की जगह बनाओ और इबराहीम व इसमाइल से अहद व पैमान लिया कि मेरे (उस) घर को तवाफ़ और एतक़ाफ़ और रूकू और सजदा करने वालों के वास्ते साफ सुथरा रखो
وَإِذْ قَالَ إِبْرَاهِيمُ رَبِّ اجْعَلْ هَٰذَا بَلَدًا آمِنًا وَارْزُقْ أَهْلَهُ مِنَ الثَّمَرَاتِ مَنْ آمَنَ مِنْهُمْ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ ۖ قَالَ وَمَنْ كَفَرَ فَأُمَتِّعُهُ قَلِيلًا ثُمَّ أَضْطَرُّهُ إِلَىٰ عَذَابِ النَّارِ ۖ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ
और (ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब इबराहीम ने दुआ माँगी कि ऐ मेरे परवरदिगार इस (शहर) को पनाह व अमन का शहर बना, और उसके रहने वालों में से जो खुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाए उसको तरह-तरह के फल खाने को दें खुदा ने फरमाया (अच्छा मगर) वो कुफ्र इख़तेयार करेगा उसकी दुनिया में चन्द रोज़ (उन चीज़ो से) फायदा उठाने दूँगा फिर (आख़ेरत में) उसको मजबूर करके दोज़ख़ की तरफ खींच ले जाऊँगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है

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