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Surah Al-Araf Ayahs #101 Translated in Hindi

أَفَأَمِنَ أَهْلُ الْقُرَىٰ أَنْ يَأْتِيَهُمْ بَأْسُنَا بَيَاتًا وَهُمْ نَائِمُونَ
(उन) बस्तियों के रहने वाले उस बात से बेख़ौफ हैं कि उन पर हमारा अज़ाब रातों रात आ जाए जब कि वह पड़े बेख़बर सोते हों
أَوَأَمِنَ أَهْلُ الْقُرَىٰ أَنْ يَأْتِيَهُمْ بَأْسُنَا ضُحًى وَهُمْ يَلْعَبُونَ
या उन बस्तियों वाले इससे बेख़ौफ हैं कि उन पर दिन दहाड़े हमारा अज़ाब आ पहुँचे जब वह खेल कूद (में मशग़ूल हो)
أَفَأَمِنُوا مَكْرَ اللَّهِ ۚ فَلَا يَأْمَنُ مَكْرَ اللَّهِ إِلَّا الْقَوْمُ الْخَاسِرُونَ
तो क्या ये लोग ख़ुदा की तद्बीर से ढीट हो गए हैं तो (याद रहे कि) ख़ुदा के दॉव से घाटा उठाने वाले ही निडर हो बैठे हैं
أَوَلَمْ يَهْدِ لِلَّذِينَ يَرِثُونَ الْأَرْضَ مِنْ بَعْدِ أَهْلِهَا أَنْ لَوْ نَشَاءُ أَصَبْنَاهُمْ بِذُنُوبِهِمْ ۚ وَنَطْبَعُ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ فَهُمْ لَا يَسْمَعُونَ
क्या जो लोग अहले ज़मीन के बाद ज़मीन के वारिस (व मालिक) होते हैं उन्हें ये मालूम नहीं कि अगर हम चाहते तो उनके गुनाहों की बदौलत उनको मुसीबत में फँसा देते (मगर ये लोग ऐसे नासमझ हैं कि गोया) उनके दिलों पर हम ख़ुद (मोहर कर देते हैं कि ये लोग कुछ सुनते ही नहीं
تِلْكَ الْقُرَىٰ نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ أَنْبَائِهَا ۚ وَلَقَدْ جَاءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنَاتِ فَمَا كَانُوا لِيُؤْمِنُوا بِمَا كَذَّبُوا مِنْ قَبْلُ ۚ كَذَٰلِكَ يَطْبَعُ اللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِ الْكَافِرِينَ
(ऐ रसूल) ये चन्द बस्तियाँ हैं जिन के हालात हम तुमसे बयान करते हैं और इसमें तो शक़ ही नहीं कि उनके पैग़म्बर उनके पास वाजेए व रौशन मौजिज़े लेकर आए मगर ये लोग जिसके पहले झुठला चुके थे उस पर भला काहे को ईमान लाने वाले थे ख़ुदा यूं काफिरों के दिलों पर अलामत मुकर्रर कर देता है (कि ये ईमान न लाएँगें)

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