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Surah Yusuf Ayahs #11 Translated in Hindi

لَقَدْ كَانَ فِي يُوسُفَ وَإِخْوَتِهِ آيَاتٌ لِلسَّائِلِينَ
(ऐ रसूल) यूसुफ और उनके भाइयों के किस्से में पूछने वाले (यहूद) के लिए (तुम्हारी नुबूवत) की यक़ीनन बहुत सी निशानियाँ हैं
إِذْ قَالُوا لَيُوسُفُ وَأَخُوهُ أَحَبُّ إِلَىٰ أَبِينَا مِنَّا وَنَحْنُ عُصْبَةٌ إِنَّ أَبَانَا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
कि जब (यूसूफ के भाइयों ने) कहा कि बावजूद कि हमारी बड़ी जमाअत है फिर भी यूसुफ़ और उसका हकीक़ी भाई (इब्ने यामीन) हमारे वालिद के नज़दीक बहुत ज्यादा प्यारे हैं इसमें कुछ शक़ नहीं कि हमारे वालिद यक़ीनन सरीही (खुली हुई) ग़लती में पड़े हैं
اقْتُلُوا يُوسُفَ أَوِ اطْرَحُوهُ أَرْضًا يَخْلُ لَكُمْ وَجْهُ أَبِيكُمْ وَتَكُونُوا مِنْ بَعْدِهِ قَوْمًا صَالِحِينَ
(ख़ैर तो अब मुनासिब ये है कि या तो) युसूफ को मार डालो या (कम से कम) उसको किसी जगह (चल कर) फेंक आओ तो अलबत्ता तुम्हारे वालिद की तवज्जो सिर्फ तुम्हारी तरफ हो जाएगा और उसके बाद तुम सबके सब (बाप की तवजज्जो से) भले आदमी हो जाओगें
قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ لَا تَقْتُلُوا يُوسُفَ وَأَلْقُوهُ فِي غَيَابَتِ الْجُبِّ يَلْتَقِطْهُ بَعْضُ السَّيَّارَةِ إِنْ كُنْتُمْ فَاعِلِينَ
उनमें से एक कहने वाला बोल उठा कि यूसुफ को जान से तो न मारो हाँ अगर तुमको ऐसा ही करना है तो उसको किसी अन्धे कुएँ में (ले जाकर) डाल दो कोई राहगीर उसे निकालकर ले जाएगा (और तुम्हारा मतलब हासिल हो जाएगा)
قَالُوا يَا أَبَانَا مَا لَكَ لَا تَأْمَنَّا عَلَىٰ يُوسُفَ وَإِنَّا لَهُ لَنَاصِحُونَ
सब ने (याक़ूब से) कहा अब्बा जान आख़िर उसकी क्या वजह है कि आप यूसुफ के बारे में हमारा ऐतबार नहीं करते

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