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Surah At-Tawba Ayahs #50 Translated in Hindi

وَلَوْ أَرَادُوا الْخُرُوجَ لَأَعَدُّوا لَهُ عُدَّةً وَلَٰكِنْ كَرِهَ اللَّهُ انْبِعَاثَهُمْ فَثَبَّطَهُمْ وَقِيلَ اقْعُدُوا مَعَ الْقَاعِدِينَ
(कि क्या करें क्या न करें) और अगर ये लोग (घर से) निकलने की ठान लेते तो (कुछ न कुछ सामान तो करते मगर (बात ये है) कि ख़ुदा ने उनके साथ भेजने को नापसन्द किया तो उनको काहिल बना दिया और (गोया) उनसे कह दिया गया कि तुम बैठने वालों के साथ बैठे (मक्खी मारते) रहो
لَوْ خَرَجُوا فِيكُمْ مَا زَادُوكُمْ إِلَّا خَبَالًا وَلَأَوْضَعُوا خِلَالَكُمْ يَبْغُونَكُمُ الْفِتْنَةَ وَفِيكُمْ سَمَّاعُونَ لَهُمْ ۗ وَاللَّهُ عَلِيمٌ بِالظَّالِمِينَ
अगर ये लोग तुममें (मिलकर) निकलते भी तो बस तुममे फ़साद ही बरपा कर देते और तुम्हारे हक़ में फ़ितना कराने की ग़रज़ से तुम्हारे दरमियान (इधर उधर) घोड़े दौड़ाते फिरते और तुममें से उनके जासूस भी हैं (जो तुम्हारी उनसे बातें बयान करते हैं) और ख़ुदा शरीरों से ख़ूब वाक़िफ़ है
لَقَدِ ابْتَغَوُا الْفِتْنَةَ مِنْ قَبْلُ وَقَلَّبُوا لَكَ الْأُمُورَ حَتَّىٰ جَاءَ الْحَقُّ وَظَهَرَ أَمْرُ اللَّهِ وَهُمْ كَارِهُونَ
(ए रसूल) इसमें तो शक़ नहीं कि उन लोगों ने पहले ही फ़साद डालना चाहा था और तुम्हारी बहुत सी बातें उलट पुलट के यहॉ तक कि हक़ आ पहुंचा और ख़ुदा ही का हुक्म ग़ालिब रहा और उनको नागवार ही रहा
وَمِنْهُمْ مَنْ يَقُولُ ائْذَنْ لِي وَلَا تَفْتِنِّي ۚ أَلَا فِي الْفِتْنَةِ سَقَطُوا ۗ وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمُحِيطَةٌ بِالْكَافِرِينَ
उन लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो साफ कहते हैं कि मुझे तो (पीछे रह जाने की) इजाज़त दीजिए और मुझ बला में न फॅसाइए (ऐ रसूल) आगाह हो कि ये लोग खुद बला में (औंधे मुँह) गिर पड़े और जहन्नुम तो काफिरों का यक़ीनन घेरे हुए ही हैं
إِنْ تُصِبْكَ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْ ۖ وَإِنْ تُصِبْكَ مُصِيبَةٌ يَقُولُوا قَدْ أَخَذْنَا أَمْرَنَا مِنْ قَبْلُ وَيَتَوَلَّوْا وَهُمْ فَرِحُونَ
तुमको कोई फायदा पहुंचा तो उन को बुरा मालूम होता है और अगर तुम पर कोई मुसीबत आ पड़ती तो ये लोग कहते हैं कि (इस वजह से) हमने अपना काम पहले ही ठीक कर लिया था और (ये कह कर) ख़ुश (तुम्हारे पास से उठकर) वापस लौटतें है

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