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Surah As-Saaffat Ayahs #171 Translated in Hindi

وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ
अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे
لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ
कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खुदा में) होता
لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
तो हम भी खुदा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते
فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ
(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा
وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ
और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है

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