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Surah As-Saaffat Ayahs #170 Translated in Hindi

وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ
और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं
وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ
अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे
لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ
कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खुदा में) होता
لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
तो हम भी खुदा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते
فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ
(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा

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