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Surah An-Nisa Ayahs #91 Translated in Hindi

اللَّهُ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ۚ لَيَجْمَعَنَّكُمْ إِلَىٰ يَوْمِ الْقِيَامَةِ لَا رَيْبَ فِيهِ ۗ وَمَنْ أَصْدَقُ مِنَ اللَّهِ حَدِيثًا
अल्लाह तो वही परवरदिगार है जिसके सिवा कोई क़ाबिले परस्तिश नहीं वह तुमको क़यामत के दिन जिसमें ज़रा भी शक नहीं ज़रूर इकट्ठा करेगा और ख़ुदा से बढ़कर बात में सच्चा कौन होगा
فَمَا لَكُمْ فِي الْمُنَافِقِينَ فِئَتَيْنِ وَاللَّهُ أَرْكَسَهُمْ بِمَا كَسَبُوا ۚ أَتُرِيدُونَ أَنْ تَهْدُوا مَنْ أَضَلَّ اللَّهُ ۖ وَمَنْ يُضْلِلِ اللَّهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهُ سَبِيلًا
(मुसलमानों) फिर तुमको क्या हो गया है कि तुम मुनाफ़िक़ों के बारे में दो फ़रीक़ हो गए हो (एक मुवाफ़िक़ एक मुख़ालिफ़) हालॉकि ख़ुद ख़ुदा ने उनके करतूतों की बदौलत उनकी अक्लों को उलट पुलट दिया है क्या तुम ये चाहते हो कि जिसको ख़ुदा ने गुमराही में छोड़ दिया है तुम उसे राहे रास्त पर ले आओ हालॉकि ख़ुदा ने जिसको गुमराही में छोड़ दिया है उसके लिए तुममें से कोई शख्स रास्ता निकाल ही नहीं सकता
وَدُّوا لَوْ تَكْفُرُونَ كَمَا كَفَرُوا فَتَكُونُونَ سَوَاءً ۖ فَلَا تَتَّخِذُوا مِنْهُمْ أَوْلِيَاءَ حَتَّىٰ يُهَاجِرُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ ۚ فَإِنْ تَوَلَّوْا فَخُذُوهُمْ وَاقْتُلُوهُمْ حَيْثُ وَجَدْتُمُوهُمْ ۖ وَلَا تَتَّخِذُوا مِنْهُمْ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا
उन लोगों की ख्वाहिश तो ये है कि जिस तरह वह काफ़िर हो गए तुम भी काफ़िर हो जाओ ताकि तुम उनके बराबर हो जाओ पस जब तक वह ख़ुदा की राह में हिजरत न करें तो उनमें से किसी को दोस्त न बनाओ फिर अगर वह उससे भी मुंह मोड़ें तो उन्हें गिरफ्तार करो और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और उनमें से किसी को न अपना दोस्त बनाओ न मददगार
إِلَّا الَّذِينَ يَصِلُونَ إِلَىٰ قَوْمٍ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ مِيثَاقٌ أَوْ جَاءُوكُمْ حَصِرَتْ صُدُورُهُمْ أَنْ يُقَاتِلُوكُمْ أَوْ يُقَاتِلُوا قَوْمَهُمْ ۚ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ لَسَلَّطَهُمْ عَلَيْكُمْ فَلَقَاتَلُوكُمْ ۚ فَإِنِ اعْتَزَلُوكُمْ فَلَمْ يُقَاتِلُوكُمْ وَأَلْقَوْا إِلَيْكُمُ السَّلَمَ فَمَا جَعَلَ اللَّهُ لَكُمْ عَلَيْهِمْ سَبِيلًا
मगर जो लोग किसी ऐसी क़ौम से जा मिलें कि तुममें और उनमें (सुलह का) एहद व पैमान हो चुका है या तुमसे जंग करने या अपनी क़ौम के साथ लड़ने से दिलतंग होकर तुम्हारे पास आए हों (तो उन्हें आज़ार न पहुंचाओ) और अगर ख़ुदा चाहता तो उनको तुमपर ग़लबा देता तो वह तुमसे ज़रूर लड़ पड़ते पस अगर वह तुमसे किनारा कशी करे और तुमसे न लड़े और तुम्हारे पास सुलाह का पैग़ाम दे तो तुम्हारे लिए उन लोगों पर आज़ार पहुंचाने की ख़ुदा ने कोई सबील नहीं निकाली
سَتَجِدُونَ آخَرِينَ يُرِيدُونَ أَنْ يَأْمَنُوكُمْ وَيَأْمَنُوا قَوْمَهُمْ كُلَّ مَا رُدُّوا إِلَى الْفِتْنَةِ أُرْكِسُوا فِيهَا ۚ فَإِنْ لَمْ يَعْتَزِلُوكُمْ وَيُلْقُوا إِلَيْكُمُ السَّلَمَ وَيَكُفُّوا أَيْدِيَهُمْ فَخُذُوهُمْ وَاقْتُلُوهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوهُمْ ۚ وَأُولَٰئِكُمْ جَعَلْنَا لَكُمْ عَلَيْهِمْ سُلْطَانًا مُبِينًا
अनक़रीब तुम कुछ ऐसे और लोगों को भी पाओगे जो चाहते हैं कि तुमसे भी अमन में रहें और अपनी क़ौम से भी अमन में रहें (मगर) जब कभी झगड़े की तरफ़ बुलाए गए तो उसमें औंधे मुंह के बल गिर पड़े पस अगर वह तुमसे न किनारा कशी करें और न तुम्हें सुलह का पैग़ाम दें और न लड़ाई से अपने हाथ रोकें पस उनको पकड़ों और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और यही वह लोग हैं जिनपर हमने तुम्हें सरीही ग़लबा अता फ़रमाया

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