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Surah An-Nisa Ayahs #29 Translated in Hindi

وَمَنْ لَمْ يَسْتَطِعْ مِنْكُمْ طَوْلًا أَنْ يَنْكِحَ الْمُحْصَنَاتِ الْمُؤْمِنَاتِ فَمِنْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُكُمْ مِنْ فَتَيَاتِكُمُ الْمُؤْمِنَاتِ ۚ وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِإِيمَانِكُمْ ۚ بَعْضُكُمْ مِنْ بَعْضٍ ۚ فَانْكِحُوهُنَّ بِإِذْنِ أَهْلِهِنَّ وَآتُوهُنَّ أُجُورَهُنَّ بِالْمَعْرُوفِ مُحْصَنَاتٍ غَيْرَ مُسَافِحَاتٍ وَلَا مُتَّخِذَاتِ أَخْدَانٍ ۚ فَإِذَا أُحْصِنَّ فَإِنْ أَتَيْنَ بِفَاحِشَةٍ فَعَلَيْهِنَّ نِصْفُ مَا عَلَى الْمُحْصَنَاتِ مِنَ الْعَذَابِ ۚ ذَٰلِكَ لِمَنْ خَشِيَ الْعَنَتَ مِنْكُمْ ۚ وَأَنْ تَصْبِرُوا خَيْرٌ لَكُمْ ۗ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ
और तुममें से जो शख्स आज़ाद इफ्फ़तदार औरतों से निकाह करने की माली हैसियत से क़ुदरत न रखता हो तो वह तुम्हारी उन मोमिना लौन्डियों से जो तुम्हारे कब्ज़े में हैं निकाह कर सकता है और ख़ुदा तुम्हारे ईमान से ख़ूब वाक़िफ़ है (ईमान की हैसियत से तो) तुममें एक दूसरे का हमजिन्स है पस (बे ताम्मुल) उनके मालिकों की इजाज़त से लौन्डियों से निकाह करो और उनका मेहर हुस्ने सुलूक से दे दो मगर उन्हीं (लौन्डियो) से निकाह करो जो इफ्फ़त के साथ तुम्हारी पाबन्द रहें न तो खुले आम ज़िना करना चाहें और न चोरी छिपे से आशनाई फिर जब तुम्हारी पाबन्द हो चुकी उसके बाद कोई बदकारी करे तो जो सज़ा आज़ाद बीवियों को दी जाती है उसकी आधी (सज़ा) लौन्डियों को दी जाएगी (और लौन्डियों) से निकाह कर भी सकता है तो वह शख्स जिसको ज़िना में मुब्तिला हो जाने का ख़ौफ़ हो और सब्र करे तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ख़ुदा बख्शने वाला मेहरबान है
يُرِيدُ اللَّهُ لِيُبَيِّنَ لَكُمْ وَيَهْدِيَكُمْ سُنَنَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَيَتُوبَ عَلَيْكُمْ ۗ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ
ख़ुदा तो ये चाहता है कि (अपने) एहकाम तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान कर दे और जो (अच्छे) लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनके तरीक़े पर चला दे और तुम्हारी तौबा कुबूल करे और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ और हिकमत वाला है
وَاللَّهُ يُرِيدُ أَنْ يَتُوبَ عَلَيْكُمْ وَيُرِيدُ الَّذِينَ يَتَّبِعُونَ الشَّهَوَاتِ أَنْ تَمِيلُوا مَيْلًا عَظِيمًا
और ख़ुदा तो चाहता है कि तुम्हारी तौबा क़ुबूल
يُرِيدُ اللَّهُ أَنْ يُخَفِّفَ عَنْكُمْ ۚ وَخُلِقَ الْإِنْسَانُ ضَعِيفًا
करे और जो लोग नफ़सियानी ख्वाहिश के पीछे पडे हैं वह ये चाहते हैं कि तुम लोग (राहे हक़ से) बहुत दूर हट जाओ और ख़ुदा चाहता है कि तुमसे बार में तख़फ़ीफ़ कर दें क्योंकि आदमी तो बहुत कमज़ोर पैदा किया गया है
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَأْكُلُوا أَمْوَالَكُمْ بَيْنَكُمْ بِالْبَاطِلِ إِلَّا أَنْ تَكُونَ تِجَارَةً عَنْ تَرَاضٍ مِنْكُمْ ۚ وَلَا تَقْتُلُوا أَنْفُسَكُمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ كَانَ بِكُمْ رَحِيمًا
ए ईमानवालों आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ न खा जाया करो लेकिन (हॉ) तुम लोगों की बाहमी रज़ामन्दी से तिजारत हो (और उसमें एक दूसरे का माल हो तो मुज़ाएक़ा नहीं) और अपना गला आप घूंट के अपनी जान न दो (क्योंकि) ख़ुदा तो ज़रूर तुम्हारे हाल पर मेहरबान है

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