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Surah Al-Mujadala Ayahs #4 Translated in Hindi

قَدْ سَمِعَ اللَّهُ قَوْلَ الَّتِي تُجَادِلُكَ فِي زَوْجِهَا وَتَشْتَكِي إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ يَسْمَعُ تَحَاوُرَكُمَا ۚ إِنَّ اللَّهَ سَمِيعٌ بَصِيرٌ
ऐ रसूल जो औरत (ख़ुला) तुमसे अपने शौहर (उस) के बारे में तुमसे झगड़ती और ख़ुदा से गिले शिकवे करती है ख़ुदा ने उसकी बात सुन ली और ख़ुदा तुम दोनों की ग़ुफ्तगू सुन रहा है बेशक ख़ुदा बड़ा सुनने वाला देखने वाला है
الَّذِينَ يُظَاهِرُونَ مِنْكُمْ مِنْ نِسَائِهِمْ مَا هُنَّ أُمَّهَاتِهِمْ ۖ إِنْ أُمَّهَاتُهُمْ إِلَّا اللَّائِي وَلَدْنَهُمْ ۚ وَإِنَّهُمْ لَيَقُولُونَ مُنْكَرًا مِنَ الْقَوْلِ وَزُورًا ۚ وَإِنَّ اللَّهَ لَعَفُوٌّ غَفُورٌ
तुम में से जो लोग अपनी बीवियों के साथ ज़हार करते हैं अपनी बीवी को माँ कहते हैं वह कुछ उनकी माएँ नहीं (हो जातीं) उनकी माएँ तो बस वही हैं जो उनको जनती हैं और वह बेशक एक नामाक़ूल और झूठी बात कहते हैं और ख़ुदा बेशक माफ करने वाला और बड़ा बख्शने वाला है
وَالَّذِينَ يُظَاهِرُونَ مِنْ نِسَائِهِمْ ثُمَّ يَعُودُونَ لِمَا قَالُوا فَتَحْرِيرُ رَقَبَةٍ مِنْ قَبْلِ أَنْ يَتَمَاسَّا ۚ ذَٰلِكُمْ تُوعَظُونَ بِهِ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ
और जो लोग अपनी बीवियों से ज़हार कर बैठे फिर अपनी बात वापस लें तो दोनों के हमबिस्तर होने से पहले (कफ्फ़ारे में) एक ग़ुलाम का आज़ाद करना (ज़रूरी) है उसकी तुमको नसीहत की जाती है और तुम जो कुछ भी करते हो (ख़ुदा) उससे आगाह है
فَمَنْ لَمْ يَجِدْ فَصِيَامُ شَهْرَيْنِ مُتَتَابِعَيْنِ مِنْ قَبْلِ أَنْ يَتَمَاسَّا ۖ فَمَنْ لَمْ يَسْتَطِعْ فَإِطْعَامُ سِتِّينَ مِسْكِينًا ۚ ذَٰلِكَ لِتُؤْمِنُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ ۚ وَتِلْكَ حُدُودُ اللَّهِ ۗ وَلِلْكَافِرِينَ عَذَابٌ أَلِيمٌ
फिर जिसको ग़ुलाम न मिले तो दोनों की मुक़ारबत के क़ब्ल दो महीने के पै दर पै रोज़े रखें और जिसको इसकी भी क़ुदरत न हो साठ मोहताजों को खाना खिलाना फर्ज़ है ये (हुक्म इसलिए है) ताकि तुम ख़ुदा और उसके रसूल की (पैरवी) तसदीक़ करो और ये ख़ुदा की मुक़र्रर हदें हैं और काफ़िरों के लिए दर्दनाक अज़ाब है

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