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Surah Al-Kahf Ayahs #54 Translated in Hindi

وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَائِكَةِ اسْجُدُوا لِآدَمَ فَسَجَدُوا إِلَّا إِبْلِيسَ كَانَ مِنَ الْجِنِّ فَفَسَقَ عَنْ أَمْرِ رَبِّهِ ۗ أَفَتَتَّخِذُونَهُ وَذُرِّيَّتَهُ أَوْلِيَاءَ مِنْ دُونِي وَهُمْ لَكُمْ عَدُوٌّ ۚ بِئْسَ لِلظَّالِمِينَ بَدَلًا
और (वह वक्त याद करो) जब हमने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करो तो इबलीस के सिवा सबने सजदा किया (ये इबलीस) जिन्नात से था तो अपने परवरदिगार के हुक्म से निकल भागा तो (लोगों) क्या मुझे छोड़कर उसको और उसकी औलाद को अपना दोस्त बनाते हो हालॉकि वह तुम्हारा (क़दीमी) दुश्मन हैं ज़ालिमों (ने ख़ुदा के बदले शैतान को अपना दोस्त बनाया ये उन) का क्या बुरा ऐवज़ है
مَا أَشْهَدْتُهُمْ خَلْقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَلَا خَلْقَ أَنْفُسِهِمْ وَمَا كُنْتُ مُتَّخِذَ الْمُضِلِّينَ عَضُدًا
मैने न तो आसमान व ज़मीन के पैदा करने के वक्त उनको (मदद के लिए) बुलाया था और न खुद उनके पैदा करने के वक्त अौर मै (ऐसा गया गुज़रा) न था कि मै गुमराह करने वालों को मददगार बनाता
وَيَوْمَ يَقُولُ نَادُوا شُرَكَائِيَ الَّذِينَ زَعَمْتُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ يَسْتَجِيبُوا لَهُمْ وَجَعَلْنَا بَيْنَهُمْ مَوْبِقًا
और (उस दिन से डरो) जिस दिन ख़ुदा फरमाएगा कि अब तुम जिन लोगों को मेरा शरीक़ ख्याल करते थे उनको (मदद के लिए) पुकारो तो वह लोग उनको पुकारेगें मगर वह लोग उनकी कुछ न सुनेगें और हम उन दोनों के बीच में महलक (खतरनाक) आड़ बना देंगे
وَرَأَى الْمُجْرِمُونَ النَّارَ فَظَنُّوا أَنَّهُمْ مُوَاقِعُوهَا وَلَمْ يَجِدُوا عَنْهَا مَصْرِفًا
और गुनेहगार लोग (देखकर समझ जाएँगें कि ये इसमें सोके जाएँगे और उससे गरीज़ (बचने की) की राह न पाएँगें
وَلَقَدْ صَرَّفْنَا فِي هَٰذَا الْقُرْآنِ لِلنَّاسِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍ ۚ وَكَانَ الْإِنْسَانُ أَكْثَرَ شَيْءٍ جَدَلًا
और हमने तो इस क़ुरान में लोगों (के समझाने) के वास्ते हर तरह की मिसालें फेर बदल कर बयान कर दी है मगर इन्सान तो तमाम मख़लूक़ात से ज्यादा झगड़ालू है

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