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Surah Al-Araf Ayahs #98 Translated in Hindi

وَمَا أَرْسَلْنَا فِي قَرْيَةٍ مِنْ نَبِيٍّ إِلَّا أَخَذْنَا أَهْلَهَا بِالْبَأْسَاءِ وَالضَّرَّاءِ لَعَلَّهُمْ يَضَّرَّعُونَ
और हमने किसी बस्ती में कोई नबी नही भेजा मगर वहाँ के रहने वालों को (कहना न मानने पर) सख्ती और मुसीबत में मुब्तिला किया ताकि वह लोग (हमारी बारगाह में) गिड़गिड़ाए
ثُمَّ بَدَّلْنَا مَكَانَ السَّيِّئَةِ الْحَسَنَةَ حَتَّىٰ عَفَوْا وَقَالُوا قَدْ مَسَّ آبَاءَنَا الضَّرَّاءُ وَالسَّرَّاءُ فَأَخَذْنَاهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
फिर हमने तकलीफ़ की जगह आराम को बदल दिया यहाँ तक कि वह लोग बढ़ निकले और कहने लगे कि इस तरह की तकलीफ़ व आराम तो हमारे बाप दादाओं को पहुँच चुका है तब हमने (उस बढ़ाने के की सज़ा में (अचानक उनको अज़ाब में) गिरफ्तार किया
وَلَوْ أَنَّ أَهْلَ الْقُرَىٰ آمَنُوا وَاتَّقَوْا لَفَتَحْنَا عَلَيْهِمْ بَرَكَاتٍ مِنَ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ وَلَٰكِنْ كَذَّبُوا فَأَخَذْنَاهُمْ بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ
और वह बिल्कुल बेख़बर थे और अगर उन बस्तियों के रहने वाले ईमान लाते और परहेज़गार बनते तो हम उन पर आसमान व ज़मीन की बरकतों (के दरवाजे) ख़ोल देते मगर (अफसोस) उन लोगों ने (हमारे पैग़म्बरों को) झूठलाया तो हमने भी उनके करतूतों की बदौलत उन को (अज़ाब में) गिरफ्तार किया
أَفَأَمِنَ أَهْلُ الْقُرَىٰ أَنْ يَأْتِيَهُمْ بَأْسُنَا بَيَاتًا وَهُمْ نَائِمُونَ
(उन) बस्तियों के रहने वाले उस बात से बेख़ौफ हैं कि उन पर हमारा अज़ाब रातों रात आ जाए जब कि वह पड़े बेख़बर सोते हों
أَوَأَمِنَ أَهْلُ الْقُرَىٰ أَنْ يَأْتِيَهُمْ بَأْسُنَا ضُحًى وَهُمْ يَلْعَبُونَ
या उन बस्तियों वाले इससे बेख़ौफ हैं कि उन पर दिन दहाड़े हमारा अज़ाब आ पहुँचे जब वह खेल कूद (में मशग़ूल हो)

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