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Surah Aal-E-Imran Ayahs #176 Translated in Hindi

الَّذِينَ اسْتَجَابُوا لِلَّهِ وَالرَّسُولِ مِنْ بَعْدِ مَا أَصَابَهُمُ الْقَرْحُ ۚ لِلَّذِينَ أَحْسَنُوا مِنْهُمْ وَاتَّقَوْا أَجْرٌ عَظِيمٌ
निहाल हो रहे हैं (जंगे ओहद में) जिन लोगों ने जख्म खाने के बाद भी ख़ुदा और रसूल का कहना माना उनमें से जिन लोगों ने नेकी और परहेज़गारी की (सब के लिये नहीं सिर्फ) उनके लिये बड़ा सवाब है
الَّذِينَ قَالَ لَهُمُ النَّاسُ إِنَّ النَّاسَ قَدْ جَمَعُوا لَكُمْ فَاخْشَوْهُمْ فَزَادَهُمْ إِيمَانًا وَقَالُوا حَسْبُنَا اللَّهُ وَنِعْمَ الْوَكِيلُ
यह वह हैं कि जब उनसे लोगों ने आकर कहना शुरू किया कि (दुशमन) लोगों ने तुम्हारे (मुक़ाबले के) वास्ते (बड़ा लश्कर) जमा किया है पस उनसे डरते (तो बजाए ख़ौफ़ के) उनका ईमान और ज्यादा हो गया और कहने लगे (होगा भी) ख़ुदा हमारे वास्ते काफ़ी है
فَانْقَلَبُوا بِنِعْمَةٍ مِنَ اللَّهِ وَفَضْلٍ لَمْ يَمْسَسْهُمْ سُوءٌ وَاتَّبَعُوا رِضْوَانَ اللَّهِ ۗ وَاللَّهُ ذُو فَضْلٍ عَظِيمٍ
और वह क्या अच्छा कारसाज़ है फिर (या तो हिम्मत करके गए मगर जब लड़ाई न हुई तो) ये लोग ख़ुदा की नेअमत और फ़ज़ल के साथ (अपने घर) वापस आए और उन्हें कोई बुराई छू भी नहीं गयी और ख़ुदा की ख़ुशनूदी के पाबन्द रहे और ख़ुदा बड़ा फ़ज़ल करने वाला है
إِنَّمَا ذَٰلِكُمُ الشَّيْطَانُ يُخَوِّفُ أَوْلِيَاءَهُ فَلَا تَخَافُوهُمْ وَخَافُونِ إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ
यह (मुख्बिर) बस शैतान था जो सिर्फ़ अपने दोस्तों को (रसूल का साथ देने से) डराता है पस तुम उनसे तो डरो नहीं अगर सच्चे मोमिन हो तो मुझ ही से डरते रहो
وَلَا يَحْزُنْكَ الَّذِينَ يُسَارِعُونَ فِي الْكُفْرِ ۚ إِنَّهُمْ لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا ۗ يُرِيدُ اللَّهُ أَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِي الْآخِرَةِ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ
और (ऐ रसूल) जो लोग कुफ़्र की (मदद) में पेश क़दमी कर जाते हैं उनकी वजह से तुम रन्ज न करो क्योंकि ये लोग ख़ुदा को कुछ ज़रर नहीं पहुँचा सकते (बल्कि) ख़ुदा तो ये चाहता है कि आख़ेरत में उनका हिस्सा न क़रार दे और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है

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