Quran Apps in many lanuages:

Surah Yusuf Ayahs #21 Translated in Hindi

قَالُوا يَا أَبَانَا إِنَّا ذَهَبْنَا نَسْتَبِقُ وَتَرَكْنَا يُوسُفَ عِنْدَ مَتَاعِنَا فَأَكَلَهُ الذِّئْبُ ۖ وَمَا أَنْتَ بِمُؤْمِنٍ لَنَا وَلَوْ كُنَّا صَادِقِينَ
और कहने लगे ऐ अब्बा हम लोग तो जाकर दौड़ने लगे और यूसुफ को अपने असबाब के पास छोड़ दिया इतने में भेड़िया आकर उसे खा गया हम लोग अगर सच्चे भी हो मगर आपको तो हमारी बात का यक़ीन आने का नहीं
وَجَاءُوا عَلَىٰ قَمِيصِهِ بِدَمٍ كَذِبٍ ۚ قَالَ بَلْ سَوَّلَتْ لَكُمْ أَنْفُسُكُمْ أَمْرًا ۖ فَصَبْرٌ جَمِيلٌ ۖ وَاللَّهُ الْمُسْتَعَانُ عَلَىٰ مَا تَصِفُونَ
और ये लोग यूसुफ के कुरते पर झूठ मूठ (भेड़) का खून भी (लगा के) लाए थे, याक़ूब ने कहा (भेड़िया ने ही खाया (बल्कि) तुम्हारे दिल ने तुम्हारे बचाओ के लिए एक बात गढ़ी वरना कुर्ता फटा हुआ ज़रुर होता फिर सब्र व शुक्र है और जो कुछ तुम बयान करते हो उस पर ख़ुदा ही से मदद माँगी जाती है
وَجَاءَتْ سَيَّارَةٌ فَأَرْسَلُوا وَارِدَهُمْ فَأَدْلَىٰ دَلْوَهُ ۖ قَالَ يَا بُشْرَىٰ هَٰذَا غُلَامٌ ۚ وَأَسَرُّوهُ بِضَاعَةً ۚ وَاللَّهُ عَلِيمٌ بِمَا يَعْمَلُونَ
और (ख़ुदा की शान देखो) एक काफ़ला (वहाँ) आकर उतरा उन लोगों ने अपने सक्के (पानी भरने वाले) को (पानी भरने) भेजा ग़रज़ उसने अपना डोल डाला ही था (कि यूसुफ उसमें बैठे और उसने ख़ीचा तो निकल आए) वह पुकारा आहा ये तो लड़का है और काफला वालो ने यूसुफ को क़ीमती सरमाया समझकर छिपा रखा हालॉकि जो कुछ ये लोग करते थे ख़ुदा उससे ख़ूब वाकिफ था
وَشَرَوْهُ بِثَمَنٍ بَخْسٍ دَرَاهِمَ مَعْدُودَةٍ وَكَانُوا فِيهِ مِنَ الزَّاهِدِينَ
(जब यूसुफ के भाइयों को ख़बर लगी तो आ पहुँचे और उनको अपना ग़ुलाम बताया और उन लोगों ने यूसुफ को गिनती के खोटे चन्द दरहम (बहुत थोड़े दाम पर बेच डाला) और वह लोग तो यूसुफ से बेज़ार हो ही रहे थे
وَقَالَ الَّذِي اشْتَرَاهُ مِنْ مِصْرَ لِامْرَأَتِهِ أَكْرِمِي مَثْوَاهُ عَسَىٰ أَنْ يَنْفَعَنَا أَوْ نَتَّخِذَهُ وَلَدًا ۚ وَكَذَٰلِكَ مَكَّنَّا لِيُوسُفَ فِي الْأَرْضِ وَلِنُعَلِّمَهُ مِنْ تَأْوِيلِ الْأَحَادِيثِ ۚ وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَىٰ أَمْرِهِ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
(यूसुफ को लेकर मिस्र पहुँचे और वहाँ उसे बड़े नफे में बेच डाला) और मिस्र के लोगों से (अज़ीजे मिस्र) जिसने (उनको ख़रीदा था अपनी बीवी (ज़ुलेख़ा) से कहने लगा इसको इज्ज़त व आबरु से रखो अजब नहीं ये हमें कुछ नफा पहुँचाए या (शायद) इसको अपना बेटा ही बना लें और यू हमने यूसुफ को मुल्क (मिस्र) में (जगह देकर) क़ाबिज़ बनाया और ग़रज़ ये थी कि हमने उसे ख्वाब की बातों की ताबीर सिखायी और ख़ुदा तो अपने काम पर (हर तरह के) ग़ालिब व क़ादिर है मगर बहुतेरे लोग (उसको) नहीं जानते

Choose other languages: