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Surah Yunus Ayahs #104 Translated in Hindi

وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ أَنْ تُؤْمِنَ إِلَّا بِإِذْنِ اللَّهِ ۚ وَيَجْعَلُ الرِّجْسَ عَلَى الَّذِينَ لَا يَعْقِلُونَ
कि बगैर ख़ुदा की इजाज़त ईमान ले आए और जो लोग (उसूले दीन में) अक़ल से काम नहीं लेते उन्हीं लोगें पर ख़ुदा (कुफ़्र) की गन्दगी डाल देता है
قُلِ انْظُرُوا مَاذَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ وَمَا تُغْنِي الْآيَاتُ وَالنُّذُرُ عَنْ قَوْمٍ لَا يُؤْمِنُونَ
(ऐ रसूल) तुम कहा दो कि ज़रा देखों तो सही कि आसमानों और ज़मीन में (ख़ुदा की निशानियाँ क्या) क्या कुछ हैं (मगर सच तो ये है) और जो लोग ईमान नहीं क़ुबूल करते उनको हमारी निशानियाँ और डरावे कुछ भी मुफीद नहीं
فَهَلْ يَنْتَظِرُونَ إِلَّا مِثْلَ أَيَّامِ الَّذِينَ خَلَوْا مِنْ قَبْلِهِمْ ۚ قُلْ فَانْتَظِرُوا إِنِّي مَعَكُمْ مِنَ الْمُنْتَظِرِينَ
तो ये लोग भी उन्हें सज़ाओं के मुन्तिज़र (इन्तजार में) हैं जो उनसे क़ब्ल (पहले) वालो पर गुज़र चुकी हैं (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि अच्छा तुम भी इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ यक़ीनन इन्तज़ार करता हूँ
ثُمَّ نُنَجِّي رُسُلَنَا وَالَّذِينَ آمَنُوا ۚ كَذَٰلِكَ حَقًّا عَلَيْنَا نُنْجِ الْمُؤْمِنِينَ
फिर (नुज़ूले अज़ाब के वक्त) हम अपने रसूलों को और जो लोग ईमान लाए उनको (अज़ाब से) तलूउ बचा लेते हैं यूँ ही हम पर लाज़िम है कि हम ईमान लाने वालों को भी बचा लें
قُلْ يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنْ كُنْتُمْ فِي شَكٍّ مِنْ دِينِي فَلَا أَعْبُدُ الَّذِينَ تَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَلَٰكِنْ أَعْبُدُ اللَّهَ الَّذِي يَتَوَفَّاكُمْ ۖ وَأُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर तुम लोग मेरे दीन के बारे में शक़ में पड़े हो तो (मैं भी तुमसे साफ कहें देता हूँ) ख़ुदा के सिवा तुम भी जिन लोगों की परसतिश करते हो मै तो उनकी परसतिश नहीं करने का मगर (हाँ) मै उस ख़ुदा की इबादत करता हूँ जो तुम्हें (अपनी कुदरत से दुनिया से) उठा लेगा और मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मोमिन हूँ

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