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Surah Muhammad Ayahs #24 Translated in Hindi

وَيَقُولُ الَّذِينَ آمَنُوا لَوْلَا نُزِّلَتْ سُورَةٌ ۖ فَإِذَا أُنْزِلَتْ سُورَةٌ مُحْكَمَةٌ وَذُكِرَ فِيهَا الْقِتَالُ ۙ رَأَيْتَ الَّذِينَ فِي قُلُوبِهِمْ مَرَضٌ يَنْظُرُونَ إِلَيْكَ نَظَرَ الْمَغْشِيِّ عَلَيْهِ مِنَ الْمَوْتِ ۖ فَأَوْلَىٰ لَهُمْ
और मोमिनीन कहते हैं कि (जेहाद के बारे में) कोई सूरा क्यों नहीं नाज़िल होता लेकिन जब कोई साफ़ सरीही मायनों का सूरा नाज़िल हुआ और उसमें जेहाद का बयान हो तो जिन लोगों के दिल में (नेफ़ाक़) का मर्ज़ है तुम उनको देखोगे कि तुम्हारी तरफ़ इस तरह देखते हैं जैसे किसी पर मौत की बेहोशी (छायी) हो (कि उसकी ऑंखें पथरा जाएं) तो उन पर वाए हो
طَاعَةٌ وَقَوْلٌ مَعْرُوفٌ ۚ فَإِذَا عَزَمَ الْأَمْرُ فَلَوْ صَدَقُوا اللَّهَ لَكَانَ خَيْرًا لَهُمْ
(उनके लिए अच्छा काम तो) फरमाबरदारी और पसन्दीदा बात है फिर जब लड़ाई ठन जाए तो अगर ये लोग ख़ुदा से सच्चे रहें तो उनके हक़ में बहुत बेहतर है
فَهَلْ عَسَيْتُمْ إِنْ تَوَلَّيْتُمْ أَنْ تُفْسِدُوا فِي الْأَرْضِ وَتُقَطِّعُوا أَرْحَامَكُمْ
(मुनाफ़िक़ों) क्या तुमसे कुछ दूर है कि अगर तुम हाक़िम बनो तो रूए ज़मीन में फसाद फैलाने और अपने रिश्ते नातों को तोड़ने लगो ये वही लोग हैं जिन पर ख़ुदा ने लानत की है
أُولَٰئِكَ الَّذِينَ لَعَنَهُمُ اللَّهُ فَأَصَمَّهُمْ وَأَعْمَىٰ أَبْصَارَهُمْ
और (गोया ख़ुद उसने) उन (के कानों) को बहरा और ऑंखों को अंधा कर दिया है
أَفَلَا يَتَدَبَّرُونَ الْقُرْآنَ أَمْ عَلَىٰ قُلُوبٍ أَقْفَالُهَا
तो क्या लोग क़ुरान में (ज़रा भी) ग़ौर नहीं करते या (उनके) दिलों पर ताले लगे हुए हैं

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