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Surah Hud Ayahs #39 Translated in Hindi

أَمْ يَقُولُونَ افْتَرَاهُ ۖ قُلْ إِنِ افْتَرَيْتُهُ فَعَلَيَّ إِجْرَامِي وَأَنَا بَرِيءٌ مِمَّا تُجْرِمُونَ
(ऐ रसूल) क्या (कुफ्फ़ारे मक्का भी) कहते हैं कि क़ुरान को उस (तुम) ने गढ़ लिया है तुम कह दो कि अगर मैने उसको गढ़ा है तो मेरे गुनाह का वबाल मुझ पर होगा और तुम लोग जो (गुनाह करके) मुजरिम होते हो उससे मै बरीउल ज़िम्मा (अलग) हूँ
وَأُوحِيَ إِلَىٰ نُوحٍ أَنَّهُ لَنْ يُؤْمِنَ مِنْ قَوْمِكَ إِلَّا مَنْ قَدْ آمَنَ فَلَا تَبْتَئِسْ بِمَا كَانُوا يَفْعَلُونَ
और नूह के पास ये 'वही' भेज दी गई कि जो ईमान ला चुका उनके सिवा अब कोई शख़्श तुम्हारी क़ौम से हरगिज़ ईमान न लाएगा तो तुम ख्वाहमा ख्वाह उनकी कारस्तानियों का (कुछ) ग़म न खाओ
وَاصْنَعِ الْفُلْكَ بِأَعْيُنِنَا وَوَحْيِنَا وَلَا تُخَاطِبْنِي فِي الَّذِينَ ظَلَمُوا ۚ إِنَّهُمْ مُغْرَقُونَ
और (बिस्मिल्लाह करके) हमारे रुबरु और हमारे हुक्म से कश्ती बना डालो और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके बारे में मुझसे सिफारिश न करना क्योंकि ये लोग ज़रुर डुबा दिए जाएँगें
وَيَصْنَعُ الْفُلْكَ وَكُلَّمَا مَرَّ عَلَيْهِ مَلَأٌ مِنْ قَوْمِهِ سَخِرُوا مِنْهُ ۚ قَالَ إِنْ تَسْخَرُوا مِنَّا فَإِنَّا نَسْخَرُ مِنْكُمْ كَمَا تَسْخَرُونَ
और नूह कश्ती बनाने लगे और जब कभी उनकी क़ौम के सरबर आवुरदा लोग उनके पास से गुज़रते थे तो उनसे मसख़रापन करते नूह (जवाब में) कहते कि अगर इस वक्त तुम हमसे मसखरापन करते हो तो जिस तरह तुम हम पर हँसते हो हम तुम पर एक वक्त हँसेगें
فَسَوْفَ تَعْلَمُونَ مَنْ يَأْتِيهِ عَذَابٌ يُخْزِيهِ وَيَحِلُّ عَلَيْهِ عَذَابٌ مُقِيمٌ
और तुम्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि किस पर अज़ाब नाज़िल होता है कि (दुनिया में) उसे रुसवा कर दे और किस पर (क़यामत में) दाइमी अज़ाब नाज़िल होता है

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