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Surah Ghafir Ayahs #19 Translated in Hindi

رَفِيعُ الدَّرَجَاتِ ذُو الْعَرْشِ يُلْقِي الرُّوحَ مِنْ أَمْرِهِ عَلَىٰ مَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ لِيُنْذِرَ يَوْمَ التَّلَاقِ
ख़ुदा तो बड़ा आली मरतबा अर्श का मालिक है, वह अपने बन्दों में से जिस पर चाहता है अपने हुक्म से 'वही' नाज़िल करता है ताकि (लोगों को) मुलाकात (क़यामत) के दिन से डराएं
يَوْمَ هُمْ بَارِزُونَ ۖ لَا يَخْفَىٰ عَلَى اللَّهِ مِنْهُمْ شَيْءٌ ۚ لِمَنِ الْمُلْكُ الْيَوْمَ ۖ لِلَّهِ الْوَاحِدِ الْقَهَّارِ
जिस दिन वह लोग (क़ब्रों) से निकल पड़ेंगे (और) उनको कोई चीज़ ख़ुदा से पोशीदा नहीं रहेगी (और निदा आएगी) आज किसकी बादशाहत है ( फिर ख़ुदा ख़़ुद कहेगा ) ख़ास ख़ुदा की जो अकेला (और) ग़ालिब है
الْيَوْمَ تُجْزَىٰ كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ ۚ لَا ظُلْمَ الْيَوْمَ ۚ إِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ
आज हर शख्स को उसके किए का बदला दिया जाएगा, आज किसी पर कुछ भी ज़ुल्म न किया जाएगा बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है
وَأَنْذِرْهُمْ يَوْمَ الْآزِفَةِ إِذِ الْقُلُوبُ لَدَى الْحَنَاجِرِ كَاظِمِينَ ۚ مَا لِلظَّالِمِينَ مِنْ حَمِيمٍ وَلَا شَفِيعٍ يُطَاعُ
(ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस दिन से डराओ जो अनक़रीब आने वाला है जब लोगों के कलेजे घुट घुट के (मारे डर के) मुँह को आ जाएंगें (उस वक्त) न तो सरकशों का कोई सच्चा दोस्त होगा और न कोई ऐसा सिफारिशी जिसकी बात मान ली जाए
يَعْلَمُ خَائِنَةَ الْأَعْيُنِ وَمَا تُخْفِي الصُّدُورُ
ख़ुदा तो ऑंखों की दुज़दीदा (ख़यानत की) निगाह को भी जानता है और उन बातों को भी जो (लोगों के) सीनों में पोशीदा है

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