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Surah Az-Zamar Ayahs #71 Translated in Hindi

وَمَا قَدَرُوا اللَّهَ حَقَّ قَدْرِهِ وَالْأَرْضُ جَمِيعًا قَبْضَتُهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَالسَّمَاوَاتُ مَطْوِيَّاتٌ بِيَمِينِهِ ۚ سُبْحَانَهُ وَتَعَالَىٰ عَمَّا يُشْرِكُونَ
और उन लोगों ने ख़ुदा की जैसी क़द्र दानी करनी चाहिए थी उसकी ( कुछ भी ) कद्र न की हालाँकि ( वह ऐसा क़ादिर है कि) क़यामत के दिन सारी ज़मीन (गोया) उसकी मुट्ठी में होगी और सारे आसमान (गोया) उसके दाहिने हाथ में लिपटे हुए हैं जिसे ये लोग उसका शरीक बनाते हैं वह उससे पाकीज़ा और बरतर है
وَنُفِخَ فِي الصُّورِ فَصَعِقَ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَمَنْ فِي الْأَرْضِ إِلَّا مَنْ شَاءَ اللَّهُ ۖ ثُمَّ نُفِخَ فِيهِ أُخْرَىٰ فَإِذَا هُمْ قِيَامٌ يَنْظُرُونَ
और जब (पहली बार) सूर फँका जाएगा तो जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं (मौत से) बेहोश होकर गिर पड़ेंगें) मगर (हाँ) जिस को ख़ुदा चाहे वह अलबत्ता बच जाएगा) फिर जब दोबारा सूर फूँका जाएगा तो फौरन सब के सब खड़े हो कर देखने लगेंगें
وَأَشْرَقَتِ الْأَرْضُ بِنُورِ رَبِّهَا وَوُضِعَ الْكِتَابُ وَجِيءَ بِالنَّبِيِّينَ وَالشُّهَدَاءِ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْحَقِّ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
और ज़मीन अपने परवरदिगार के नूर से जगमगा उठेगी और (आमाल की) किताब (लोगों के सामने) रख दी जाएगी और पैग़म्बर और गवाह ला हाज़िर किए जाएँगे और उनमें इन्साफ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर ( ज़र्रा बराबर ) ज़ुल्म नहीं किया जाएगा
وَوُفِّيَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَا عَمِلَتْ وَهُوَ أَعْلَمُ بِمَا يَفْعَلُونَ
और जिस शख्स ने जैसा किया हो उसे उसका पूरा पूरा बदला मिल जाएगा, और जो कुछ ये लोग करते हैं वह उससे ख़ूब वाक़िफ है
وَسِيقَ الَّذِينَ كَفَرُوا إِلَىٰ جَهَنَّمَ زُمَرًا ۖ حَتَّىٰ إِذَا جَاءُوهَا فُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا أَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِنْكُمْ يَتْلُونَ عَلَيْكُمْ آيَاتِ رَبِّكُمْ وَيُنْذِرُونَكُمْ لِقَاءَ يَوْمِكُمْ هَٰذَا ۚ قَالُوا بَلَىٰ وَلَٰكِنْ حَقَّتْ كَلِمَةُ الْعَذَابِ عَلَى الْكَافِرِينَ
और जो लोग काफिर थे उनके ग़ोल के ग़ोल जहन्नुम की तरफ हॅकाए जाएँगे और यहाँ तक की जब जहन्नुम के पास पहुँचेगें तो उसके दरवाज़े खोल दिए जाएगें और उसके दरोग़ा उनसे पूछेंगे कि क्या तुम लोगों में के पैग़म्बर तुम्हारे पास नहीं आए थे जो तुमको तुम्हारे परवरदिगार की आयतें पढ़कर सुनाते और तुमको इस रोज़ (बद) के पेश आने से डराते वह लोग जवाब देगें कि हाँ (आए तो थे) मगर (हमने न माना) और अज़ाब का हुक्म काफिरों के बारे में पूरा हो कर रहेगा

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