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Surah An-Nisa Ayahs #143 Translated in Hindi

الَّذِينَ يَتَّخِذُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِنْ دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۚ أَيَبْتَغُونَ عِنْدَهُمُ الْعِزَّةَ فَإِنَّ الْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا
जो लोग मोमिनों को छोड़कर काफ़िरों को अपना सरपरस्त बनाते हैं क्या उनके पास इज्ज़त (व आबरू) की तलाश करते हैं इज्ज़त सारी बस ख़ुदा ही के लिए ख़ास है
وَقَدْ نَزَّلَ عَلَيْكُمْ فِي الْكِتَابِ أَنْ إِذَا سَمِعْتُمْ آيَاتِ اللَّهِ يُكْفَرُ بِهَا وَيُسْتَهْزَأُ بِهَا فَلَا تَقْعُدُوا مَعَهُمْ حَتَّىٰ يَخُوضُوا فِي حَدِيثٍ غَيْرِهِ ۚ إِنَّكُمْ إِذًا مِثْلُهُمْ ۗ إِنَّ اللَّهَ جَامِعُ الْمُنَافِقِينَ وَالْكَافِرِينَ فِي جَهَنَّمَ جَمِيعًا
(मुसलमानों) हालॉकि ख़ुदा तुम पर अपनी किताब कुरान में ये हुक्म नाज़िल कर चुका है कि जब तुम सुन लो कि ख़ुदा की आयतों से ईन्कार किया जाता है और उससे मसख़रापन किया जाता है तो तुम उन (कुफ्फ़ार) के साथ मत बैठो यहॉ तक कि वह किसी दूसरी बात में ग़ौर करने लगें वरना तुम भी उस वक्त उनके बराबर हो जाओगे उसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा तमाम मुनाफ़िक़ों और काफ़िरों को (एक न एक दिन) जहन्नुम में जमा ही करेगा
الَّذِينَ يَتَرَبَّصُونَ بِكُمْ فَإِنْ كَانَ لَكُمْ فَتْحٌ مِنَ اللَّهِ قَالُوا أَلَمْ نَكُنْ مَعَكُمْ وَإِنْ كَانَ لِلْكَافِرِينَ نَصِيبٌ قَالُوا أَلَمْ نَسْتَحْوِذْ عَلَيْكُمْ وَنَمْنَعْكُمْ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ ۚ فَاللَّهُ يَحْكُمُ بَيْنَكُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ وَلَنْ يَجْعَلَ اللَّهُ لِلْكَافِرِينَ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ سَبِيلًا
(वो मुनाफ़ेकीन) जो तुम्हारे मुन्तज़िर है (कि देखिए फ़तेह होती है या शिकस्त) तो अगर ख़ुदा की तरफ़ से तुम्हें फ़तेह हुई तो कहने लगे कि क्या हम तुम्हारे साथ न थे और अगर (फ़तेह का) हिस्सा काफ़िरों को मिला तो (काफ़िरों के तरफ़दार बनकर) कहते हैं क्या हम तुमपर ग़ालिब न आ गए थे (मगर क़सदन तुमको छोड़ दिया) और तुमको मोमिनीन (के हाथों) से हमने बचाया नहीं था (मुनाफ़िक़ों) क़यामत के दिन तो ख़ुदा तुम्हारे दरमियान फैसला करेगा और ख़ुदा ने काफ़िरों को मोमिनीन पर वर (ऊँचा) रहने की हरगिज़ कोई राह नहीं क़रार दी है
إِنَّ الْمُنَافِقِينَ يُخَادِعُونَ اللَّهَ وَهُوَ خَادِعُهُمْ وَإِذَا قَامُوا إِلَى الصَّلَاةِ قَامُوا كُسَالَىٰ يُرَاءُونَ النَّاسَ وَلَا يَذْكُرُونَ اللَّهَ إِلَّا قَلِيلًا
बेशक मुनाफ़िक़ीन (अपने ख्याल में) ख़ुदा को फरेब देते हैं हालॉकि ख़ुदा ख़ुद उन्हें धोखा देता है और ये लोग जब नमाज़ पढ़ने खड़े होते हैं तो (बे दिल से) अलकसाए हुए खड़े होते हैं और सिर्फ लोगों को दिखाते हैं और दिल से तो ख़ुदा को कुछ यूं ही सा याद करते हैं
مُذَبْذَبِينَ بَيْنَ ذَٰلِكَ لَا إِلَىٰ هَٰؤُلَاءِ وَلَا إِلَىٰ هَٰؤُلَاءِ ۚ وَمَنْ يُضْلِلِ اللَّهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهُ سَبِيلًا
इस कुफ़्र व ईमान के बीच अधड़ में पड़े झूल रहे हैं न उन (मुसलमानों) की तरफ़ न उन काफ़िरों की तरफ़ और (ऐ रसूल) जिसे ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे उसकी (हिदायत की) तुम हरगिज़ सबील नहीं कर सकते

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