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Surah An-Nisa Ayahs #123 Translated in Hindi

وَلَأُضِلَّنَّهُمْ وَلَأُمَنِّيَنَّهُمْ وَلَآمُرَنَّهُمْ فَلَيُبَتِّكُنَّ آذَانَ الْأَنْعَامِ وَلَآمُرَنَّهُمْ فَلَيُغَيِّرُنَّ خَلْقَ اللَّهِ ۚ وَمَنْ يَتَّخِذِ الشَّيْطَانَ وَلِيًّا مِنْ دُونِ اللَّهِ فَقَدْ خَسِرَ خُسْرَانًا مُبِينًا
और फिर उन्हें ज़रूर गुमराह करूंगा और उन्हें बड़ी बड़ी उम्मीदें भी ज़रूर दिलाऊंगा और यक़ीनन उन्हें सिखा दूंगा फिर वो (बुतों के वास्ते) जानवरों के काम ज़रूर चीर फाड़ करेंगे और अलबत्ता उनसे कह दूंगा बस फिर वो (मेरी तालीम के मुवाफ़िक़) ख़ुदा की बनाई हुई सूरत को ज़रूर बदल डालेंगे और (ये याद रहे कि) जिसने ख़ुदा को छोड़कर शैतान को अपना सरपरस्त बनाया तो उसने खुल्लम खुल्ला सख्त घाटा उठाया
يَعِدُهُمْ وَيُمَنِّيهِمْ ۖ وَمَا يَعِدُهُمُ الشَّيْطَانُ إِلَّا غُرُورًا
शैतान उनसे अच्छे अच्छे वायदे भी करता है (और बड़ी बड़ी) उम्मीदें भी दिलाता है और शैतान उनसे जो कुछ वायदे भी करता है वह बस निरा धोखा (ही धोखा) है
أُولَٰئِكَ مَأْوَاهُمْ جَهَنَّمُ وَلَا يَجِدُونَ عَنْهَا مَحِيصًا
यही तो वह लोग हैं जिनका ठिकाना बस जहन्नुम है और वहॉ से भागने की जगह भी न पाएंगे
وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا أَبَدًا ۖ وَعْدَ اللَّهِ حَقًّا ۚ وَمَنْ أَصْدَقُ مِنَ اللَّهِ قِيلًا
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें हम अनक़रीब ही (बेहिश्त के) उन (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएगें जिनके (दरख्तों के) नीचे नहरें जारी होंगी और ये लोग उसमें हमेशा आबादुल आबाद तक रहेंगे (ये उनसे) ख़ुदा का पक्का वायदा है और ख़ुदा से ज्यादा (अपनी) बात में सच्चा कौन होगा
لَيْسَ بِأَمَانِيِّكُمْ وَلَا أَمَانِيِّ أَهْلِ الْكِتَابِ ۗ مَنْ يَعْمَلْ سُوءًا يُجْزَ بِهِ وَلَا يَجِدْ لَهُ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا
न तुम लोगों की आरज़ू से (कुछ काम चल सकता है) न अहले किताब की तमन्ना से कुछ हासिल हो सकता है बल्कि (जैसा काम वैसा दाम) जो बुरा काम करेगा उसे उसका बदला दिया जाएगा और फिर ख़ुदा के सिवा किसी को न तो अपना सरपरस्त पाएगा और न मददगार

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