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Surah An-Nisa Ayahs #109 Translated in Hindi

إِنَّا أَنْزَلْنَا إِلَيْكَ الْكِتَابَ بِالْحَقِّ لِتَحْكُمَ بَيْنَ النَّاسِ بِمَا أَرَاكَ اللَّهُ ۚ وَلَا تَكُنْ لِلْخَائِنِينَ خَصِيمًا
(ऐ रसूल) हमने तुमपर बरहक़ किताब इसलिए नाज़िल की है कि ख़ुदा ने तुम्हारी हिदायत की है उसी तरह लोगों के दरमियान फ़ैसला करो और ख्यानत करने वालों के तरफ़दार न बनो
وَاسْتَغْفِرِ اللَّهَ ۖ إِنَّ اللَّهَ كَانَ غَفُورًا رَحِيمًا
और (अपनी उम्मत के लिये) ख़ुदा से मग़फ़िरत की दुआ मॉगों बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
وَلَا تُجَادِلْ عَنِ الَّذِينَ يَخْتَانُونَ أَنْفُسَهُمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ لَا يُحِبُّ مَنْ كَانَ خَوَّانًا أَثِيمًا
और (ऐ रसूल) तुम (उन बदमाशों) की तरफ़ होकर (लोगों से) न लड़ो जो अपने ही (लोगों) से दग़ाबाज़ी करते हैं बेशक ख़ुदा ऐसे शख्स को दोस्त नहीं रखता जो दग़ाबाज़ गुनाहगार हो
يَسْتَخْفُونَ مِنَ النَّاسِ وَلَا يَسْتَخْفُونَ مِنَ اللَّهِ وَهُوَ مَعَهُمْ إِذْ يُبَيِّتُونَ مَا لَا يَرْضَىٰ مِنَ الْقَوْلِ ۚ وَكَانَ اللَّهُ بِمَا يَعْمَلُونَ مُحِيطًا
लोगों से तो अपनी शरारत छुपाते हैं और (ख़ुदा से नहीं छुपा सकते) हालॉकि वह तो उस वक्त भी उनके साथ साथ है जब वह लोग रातों को (बैठकर) उन बातों के मशवरे करते हैं जिनसे ख़ुदा राज़ी नहीं और ख़ुदा तो उनकी सब करतूतों को (इल्म के अहाते में) घेरे हुए है
هَا أَنْتُمْ هَٰؤُلَاءِ جَادَلْتُمْ عَنْهُمْ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا فَمَنْ يُجَادِلُ اللَّهَ عَنْهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ أَمْ مَنْ يَكُونُ عَلَيْهِمْ وَكِيلًا
(मुसलमानों) ख़बरदार हो जाओ भला दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में तो तुम उनकी तरफ़ होकर लड़ने खडे हो गए (मगर ये तो बताओ) फिर क़यामत के दिन उनका तरफ़दार बनकर ख़ुदा से कौन लड़ेगा या कौन उनका वकील होगा

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