Quran Apps in many lanuages:

Surah An-Naml Ayahs #22 Translated in Hindi

حَتَّىٰ إِذَا أَتَوْا عَلَىٰ وَادِ النَّمْلِ قَالَتْ نَمْلَةٌ يَا أَيُّهَا النَّمْلُ ادْخُلُوا مَسَاكِنَكُمْ لَا يَحْطِمَنَّكُمْ سُلَيْمَانُ وَجُنُودُهُ وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
तो वह सबके सब (मसल मसल) खडे क़िए जाते थे (ग़रज़ इस तरह लशकर चलता) यहाँ तक कि जब (एक दिन) चीटीयों के मैदान में आ निकले तो एक चीटीं बोली ऐ चीटीयों अपने अपने बिल में घुस जाओ- ऐसा न हो कि सुलेमान और उनका लश्कर तुम्हे रौन्द डाले और उन्हें उसकी ख़बर भी न हो
فَتَبَسَّمَ ضَاحِكًا مِنْ قَوْلِهَا وَقَالَ رَبِّ أَوْزِعْنِي أَنْ أَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِي أَنْعَمْتَ عَلَيَّ وَعَلَىٰ وَالِدَيَّ وَأَنْ أَعْمَلَ صَالِحًا تَرْضَاهُ وَأَدْخِلْنِي بِرَحْمَتِكَ فِي عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ
तो सुलेमान इस बात से मुस्कुरा के हँस पड़ें और अर्ज क़ी परवरदिगार मुझे तौफीक़ अता फरमा कि जैसी जैसी नेअमतें तूने मुझ पर और मेरे वालदैन पर नाज़िल फरमाई हैं मै (उनका) शुक्रिया अदा करुँ और मैं ऐसे नेक काम करुँ जिसे तू पसन्द फरमाए और तू अपनी ख़ास मेहरबानी से मुझे (अपने) नेकोकार बन्दों में दाखिल कर
وَتَفَقَّدَ الطَّيْرَ فَقَالَ مَا لِيَ لَا أَرَى الْهُدْهُدَ أَمْ كَانَ مِنَ الْغَائِبِينَ
और सुलेमान ने परिन्दों (के लश्कर) की हाज़िरी ली तो कहने लगे कि क्या बात है कि मै हुदहुद को (उसकी जगह पर) नहीं देखता क्या (वाक़ई में) वह कही ग़ायब है
لَأُعَذِّبَنَّهُ عَذَابًا شَدِيدًا أَوْ لَأَذْبَحَنَّهُ أَوْ لَيَأْتِيَنِّي بِسُلْطَانٍ مُبِينٍ
(अगर ऐसा है तो) मै उसे सख्त से सख्त सज़ा दूँगा या (नहीं तो ) उसे ज़बाह ही कर डालूँगा या वह (अपनी बेगुनाही की) कोई साफ दलील मेरे पास पेश करे
فَمَكَثَ غَيْرَ بَعِيدٍ فَقَالَ أَحَطْتُ بِمَا لَمْ تُحِطْ بِهِ وَجِئْتُكَ مِنْ سَبَإٍ بِنَبَإٍ يَقِينٍ
ग़रज़ सुलेमान ने थोड़ी ही देर (तवक्कुफ़ किया था कि (हुदहुद) आ गया) तो उसने अर्ज़ की मुझे यह बात मालूम हुई है जो अब तक हुज़ूर को भी मालूम नहीं है और आप के पास शहरे सबा से एक तहक़ीकी ख़बर लेकर आया हूँ

Choose other languages: