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Surah Al-Isra Ayahs #85 Translated in Hindi

وَقُلْ جَاءَ الْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَاطِلُ ۚ إِنَّ الْبَاطِلَ كَانَ زَهُوقًا
और (ऐ रसूल) कह दो कि (दीन) हक़ आ गया और बातिल नेस्तनाबूद हुआ इसमें शक़ नहीं कि बातिल मिटने वाला ही था
وَنُنَزِّلُ مِنَ الْقُرْآنِ مَا هُوَ شِفَاءٌ وَرَحْمَةٌ لِلْمُؤْمِنِينَ ۙ وَلَا يَزِيدُ الظَّالِمِينَ إِلَّا خَسَارًا
और हम तो क़ुरान में वही चीज़ नाज़िल करते हैं जो मोमिनों के लिए (सरासर) शिफा और रहमत है (मगर) नाफरमानों को तो घाटे के सिवा कुछ बढ़ाता ही नहीं
وَإِذَا أَنْعَمْنَا عَلَى الْإِنْسَانِ أَعْرَضَ وَنَأَىٰ بِجَانِبِهِ ۖ وَإِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ كَانَ يَئُوسًا
और जब हमने आदमी को नेअमत अता फरमाई तो (उल्टे) उसने (हमसे) मुँह फेरा और पहलू बचाने लगा और जब उसे कोई तकलीफ छू भी गई तो मायूस हो बैठा
قُلْ كُلٌّ يَعْمَلُ عَلَىٰ شَاكِلَتِهِ فَرَبُّكُمْ أَعْلَمُ بِمَنْ هُوَ أَهْدَىٰ سَبِيلًا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि हर (एक अपने तरीक़े पर कारगुज़ारी करता है फिर तुम में से जो शख़्श बिल्कुल ठीक सीधी राह पर है तुम्हारा परवरदिगार (उससे) खूब वाक़िफ है
وَيَسْأَلُونَكَ عَنِ الرُّوحِ ۖ قُلِ الرُّوحُ مِنْ أَمْرِ رَبِّي وَمَا أُوتِيتُمْ مِنَ الْعِلْمِ إِلَّا قَلِيلًا
और (ऐ रसूल) तुमसे लोग रुह के बारे में सवाल करते हैं तुम (उनके जवाब में) कह दो कि रूह (भी) मेरे परदिगार के हुक्म से (पैदा हुईहै) और तुमको बहुत थोड़ा सा इल्म दिया गया है

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