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Surah Al-Ahzab Ayahs #14 Translated in Hindi

إِذْ جَاءُوكُمْ مِنْ فَوْقِكُمْ وَمِنْ أَسْفَلَ مِنْكُمْ وَإِذْ زَاغَتِ الْأَبْصَارُ وَبَلَغَتِ الْقُلُوبُ الْحَنَاجِرَ وَتَظُنُّونَ بِاللَّهِ الظُّنُونَا
जिस वक्त वह लोग तुम पर तुम्हारे ऊपर से आ पड़े और तुम्हारे नीचे की तरफ से भी पिल गए और जिस वक्त (उनकी कसरत से) तुम्हारी ऑंखें ख़ैरा हो गयीं थी और (ख़ौफ से) कलेजे मुँह को आ गए थे और ख़ुदा पर तरह-तरह के (बुरे) ख्याल करने लगे थे।
هُنَالِكَ ابْتُلِيَ الْمُؤْمِنُونَ وَزُلْزِلُوا زِلْزَالًا شَدِيدًا
यहाँ पर मोमिनों का इम्तिहान लिया गया था और ख़ूब अच्छी तरह झिंझोड़े गए थे।
وَإِذْ يَقُولُ الْمُنَافِقُونَ وَالَّذِينَ فِي قُلُوبِهِمْ مَرَضٌ مَا وَعَدَنَا اللَّهُ وَرَسُولُهُ إِلَّا غُرُورًا
और जिस वक्त मुनाफेक़ीन और वह लोग जिनके दिलों में (कुफ्र का) मरज़ था कहने लगे थे कि खुदा ने और उसके रसूल ने जो हमसे वायदे किए थे वह बस बिल्कुल धोखे की टट्टी था।
وَإِذْ قَالَتْ طَائِفَةٌ مِنْهُمْ يَا أَهْلَ يَثْرِبَ لَا مُقَامَ لَكُمْ فَارْجِعُوا ۚ وَيَسْتَأْذِنُ فَرِيقٌ مِنْهُمُ النَّبِيَّ يَقُولُونَ إِنَّ بُيُوتَنَا عَوْرَةٌ وَمَا هِيَ بِعَوْرَةٍ ۖ إِنْ يُرِيدُونَ إِلَّا فِرَارًا
और अब उनमें का एक गिरोह कहने लगा था कि ऐ मदीने वालों अब (दुश्मन के मुक़ाबलें में ) तुम्हारे कहीं ठिकाना नहीं तो (बेहतर है कि अब भी) पलट चलो और उनमें से कुछ लोग रसूल से (घर लौट जाने की) इजाज़त माँगने लगे थे कि हमारे घर (मर्दों से) बिल्कुल ख़ाली (गैर महफूज़) पड़े हुए हैं - हालाँकि वह ख़ाली (ग़ैर महफूज़) न थे (बल्कि) वह लोग तो (इसी बहाने से) बस भागना चाहते हैं
وَلَوْ دُخِلَتْ عَلَيْهِمْ مِنْ أَقْطَارِهَا ثُمَّ سُئِلُوا الْفِتْنَةَ لَآتَوْهَا وَمَا تَلَبَّثُوا بِهَا إِلَّا يَسِيرًا
और अगर ऐसा ही लश्कर उन लोगों पर मदीने के एतराफ से आ पड़े और उन से फसाद (ख़ाना जंगी) करने की दरख्वास्त की जाए तो ये लोग उसके लिए (फौरन) आ मौजूद हों

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