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Surah Yusuf Ayahs #87 Translated in Hindi

قَالَ بَلْ سَوَّلَتْ لَكُمْ أَنْفُسُكُمْ أَمْرًا ۖ فَصَبْرٌ جَمِيلٌ ۖ عَسَى اللَّهُ أَنْ يَأْتِيَنِي بِهِمْ جَمِيعًا ۚ إِنَّهُ هُوَ الْعَلِيمُ الْحَكِيمُ
(ग़रज़ जब उन लोगों ने जाकर बयान किया तो) याक़ूब न कहा (उसने चोरी नहीं की) बल्कि ये बात तुमने अपने दिल से गढ़ ली है तो (ख़ैर) सब्र (और ख़ुदा का) शुक्र ख़ुदा से तो (मुझे) उम्मीद है कि मेरे सब (लड़कों) को मेरे पास पहुँचा दे बेशक वह बड़ा वाकिफ़ कार हकीम है
وَتَوَلَّىٰ عَنْهُمْ وَقَالَ يَا أَسَفَىٰ عَلَىٰ يُوسُفَ وَابْيَضَّتْ عَيْنَاهُ مِنَ الْحُزْنِ فَهُوَ كَظِيمٌ
और याक़ूब ने उन लोगों की तरफ से मुँह फेर लिया और (रोकर) कहने लगे हाए अफसोस यूसुफ पर और (इस क़दर रोए कि) उनकी ऑंखें सदमे से सफेद हो गई वह तो बड़े रंज के ज़ाबित (झेलने वाले) थे
قَالُوا تَاللَّهِ تَفْتَأُ تَذْكُرُ يُوسُفَ حَتَّىٰ تَكُونَ حَرَضًا أَوْ تَكُونَ مِنَ الْهَالِكِينَ
(ये देखकर उनके बेटे) कहने लगे कि आप तो हमेशा यूसुफ को याद ही करते रहिएगा यहाँ तक कि बीमार हो जाएगा या जान ही दे दीजिएगा
قَالَ إِنَّمَا أَشْكُو بَثِّي وَحُزْنِي إِلَى اللَّهِ وَأَعْلَمُ مِنَ اللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ
याक़ूब ने कहा (मै तुमसे कुछ नहीं कहता) मैं तो अपनी बेक़रारी व रंज की शिकायत ख़ुदा ही से करता हूँ और ख़ुदा की तरफ से जो बातें मै जानता हूँ तुम नहीं जानते हो
يَا بَنِيَّ اذْهَبُوا فَتَحَسَّسُوا مِنْ يُوسُفَ وَأَخِيهِ وَلَا تَيْأَسُوا مِنْ رَوْحِ اللَّهِ ۖ إِنَّهُ لَا يَيْأَسُ مِنْ رَوْحِ اللَّهِ إِلَّا الْقَوْمُ الْكَافِرُونَ
ऐ मेरी फरज़न्द (एक बार फिर मिस्र) जाओ और यूसुफ और उसके भाई को (जिस तरह बने) ढूँढ के ले आओ और ख़ुदा की रहमत से ना उम्मीद न हो क्योंकि ख़ुदा की रहमत से काफिर लोगो के सिवा और कोई ना उम्मीद नहीं हुआ करता

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