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Surah Yunus Ayahs #101 Translated in Hindi

وَلَوْ جَاءَتْهُمْ كُلُّ آيَةٍ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ
वह लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब देख (न) लेगें ईमान न लाएंगें अगरचे इनके सामने सारी (ख़ुदाई के) मौजिज़े आ मौजूद हो
فَلَوْلَا كَانَتْ قَرْيَةٌ آمَنَتْ فَنَفَعَهَا إِيمَانُهَا إِلَّا قَوْمَ يُونُسَ لَمَّا آمَنُوا كَشَفْنَا عَنْهُمْ عَذَابَ الْخِزْيِ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا وَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ
कोई बस्ती ऐसी क्यों न हुई कि ईमान क़ुबूल करती तो उसको उसका ईमान फायदे मन्द होता हाँ यूनूस की क़ौम जब (अज़ाब देख कर) ईमान लाई तो हमने दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में उनसे रुसवाई का अज़ाब दफा कर दिया और हमने उन्हें एक ख़ास वक्त तक चैन करने दिया
وَلَوْ شَاءَ رَبُّكَ لَآمَنَ مَنْ فِي الْأَرْضِ كُلُّهُمْ جَمِيعًا ۚ أَفَأَنْتَ تُكْرِهُ النَّاسَ حَتَّىٰ يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ
और (ऐ पैग़म्बर) अगर तेरा परवरदिगार चाहता तो जितने लोग रुए ज़मीन पर हैं सबके सब ईमान ले आते तो क्या तुम लोगों पर ज़बरदस्ती करना चाहते हो ताकि सबके सब ईमानदार हो जाएँ हालॉकि किसी शख़्स को ये एख्तेयार नहीं
وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ أَنْ تُؤْمِنَ إِلَّا بِإِذْنِ اللَّهِ ۚ وَيَجْعَلُ الرِّجْسَ عَلَى الَّذِينَ لَا يَعْقِلُونَ
कि बगैर ख़ुदा की इजाज़त ईमान ले आए और जो लोग (उसूले दीन में) अक़ल से काम नहीं लेते उन्हीं लोगें पर ख़ुदा (कुफ़्र) की गन्दगी डाल देता है
قُلِ انْظُرُوا مَاذَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ وَمَا تُغْنِي الْآيَاتُ وَالنُّذُرُ عَنْ قَوْمٍ لَا يُؤْمِنُونَ
(ऐ रसूल) तुम कहा दो कि ज़रा देखों तो सही कि आसमानों और ज़मीन में (ख़ुदा की निशानियाँ क्या) क्या कुछ हैं (मगर सच तो ये है) और जो लोग ईमान नहीं क़ुबूल करते उनको हमारी निशानियाँ और डरावे कुछ भी मुफीद नहीं

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