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Surah Ta-Ha Ayahs #132 Translated in Hindi

أَفَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنَ الْقُرُونِ يَمْشُونَ فِي مَسَاكِنِهِمْ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ لِأُولِي النُّهَىٰ
तो क्या उन (अहले मक्का) को उस (खुदा) ने ये नहीं बता दिया था कि हमने उनके पहले कितने लोगों को हलाक कर डाला जिनके घरों में ये लोग चलते फिरते हैं इसमें शक नहीं कि उसमें अक्लमंदों के लिए (कुदरते खुदा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं
وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَبِّكَ لَكَانَ لِزَامًا وَأَجَلٌ مُسَمًّى
और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से पहले ही एक वायदा और अज़ाब का) एक वक्त मुअय्युन न होता तो (उनकी हरकतों से) फ़ौरन अज़ाब का आना लाज़मी बात थी
فَاصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوبِهَا ۖ وَمِنْ آنَاءِ اللَّيْلِ فَسَبِّحْ وَأَطْرَافَ النَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضَىٰ
(ऐ रसूल) जो कुछ ये कुफ्फ़ार बका करते हैं तुम उस पर सब्र करो और आफ़ताब निकलने के क़ब्ल और उसके ग़ुरूब होने के क़ब्ल अपने परवरदिगार की हम्दोसना के साथ तसबीह किया करो और कुछ रात के वक़्तों में और दिन के किनारों में तस्बीह करो ताकि तुम निहाल हो जाओ
وَلَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعْنَا بِهِ أَزْوَاجًا مِنْهُمْ زَهْرَةَ الْحَيَاةِ الدُّنْيَا لِنَفْتِنَهُمْ فِيهِ ۚ وَرِزْقُ رَبِّكَ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ
और (ऐ रसूल) जो उनमें से कुछ लोगों को दुनिया की इस ज़रा सी ज़िन्दगी की रौनक़ से निहाल कर दिया है ताकि हम उनको उसमें आज़माएँ तुम अपनी नज़रें उधर न बढ़ाओ और (इससे) तुम्हारे परवरदिगार की रोज़ी (सवाब) कहीं बेहतर और ज्यादा पाएदार है
وَأْمُرْ أَهْلَكَ بِالصَّلَاةِ وَاصْطَبِرْ عَلَيْهَا ۖ لَا نَسْأَلُكَ رِزْقًا ۖ نَحْنُ نَرْزُقُكَ ۗ وَالْعَاقِبَةُ لِلتَّقْوَىٰ
और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खुद भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खुद तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखैर है

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