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Surah Ta-Ha Ayahs #120 Translated in Hindi

وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَائِكَةِ اسْجُدُوا لِآدَمَ فَسَجَدُوا إِلَّا إِبْلِيسَ أَبَىٰ
और हमने उनमें साबित व इस्तक़लाल न पाया और जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया मगर शैतान ने इन्कार किया
فَقُلْنَا يَا آدَمُ إِنَّ هَٰذَا عَدُوٌّ لَكَ وَلِزَوْجِكَ فَلَا يُخْرِجَنَّكُمَا مِنَ الْجَنَّةِ فَتَشْقَىٰ
तो मैंने (आदम से कहा) कि ऐ आदम ये यक़ीनी तुम्हारा और तुम्हारी बीवी का दुशमन है तो कहीं तुम दोनों को बेहिश्त से निकलवा न छोड़े तो तुम (दुनिया की) मुसीबत में फँस जाओ
إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِيهَا وَلَا تَعْرَىٰ
कुछ शक नहीं कि (बेहिश्त में) तुम्हें ये आराम है कि न तो तुम यहाँ भूके रहोगे और न नँगे
وَأَنَّكَ لَا تَظْمَأُ فِيهَا وَلَا تَضْحَىٰ
और न यहाँ प्यासे रहोगे और न धूप खाओगे
فَوَسْوَسَ إِلَيْهِ الشَّيْطَانُ قَالَ يَا آدَمُ هَلْ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ الْخُلْدِ وَمُلْكٍ لَا يَبْلَىٰ
तो शैतान ने उनके दिल में वसवसा डाला (और) कहा ऐ आदम क्या मैं तम्हें (हमेशगी की ज़िन्दगी) का दरख्त और वह सल्तनत जो कभी ज़ाएल न हो बता दूँ

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