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Surah Hud Ayahs #52 Translated in Hindi

قِيلَ يَا نُوحُ اهْبِطْ بِسَلَامٍ مِنَّا وَبَرَكَاتٍ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ أُمَمٍ مِمَّنْ مَعَكَ ۚ وَأُمَمٌ سَنُمَتِّعُهُمْ ثُمَّ يَمَسُّهُمْ مِنَّا عَذَابٌ أَلِيمٌ
जो तुम पर हैं और जो लोग तुम्हारे साथ हैं उनमें से न कुछ लोगों पर और (तुम्हारे बाद) कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम थोड़े ही दिन बाद बहरावर करेगें फिर हमारी तरफ से उनको दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा
تِلْكَ مِنْ أَنْبَاءِ الْغَيْبِ نُوحِيهَا إِلَيْكَ ۖ مَا كُنْتَ تَعْلَمُهَا أَنْتَ وَلَا قَوْمُكَ مِنْ قَبْلِ هَٰذَا ۖ فَاصْبِرْ ۖ إِنَّ الْعَاقِبَةَ لِلْمُتَّقِينَ
(ऐ रसूल) ये ग़ैब की चन्द ख़बरे हैं जिनको तुम्हारी तरफ वही के ज़रिए पहुँचाते हैं जो उसके क़ब्ल न तुम जानते थे और न तुम्हारी क़ौम ही (जानती थी) तो तुम सब्र करो इसमें शक़ नहीं कि आख़िारत (की खूबियाँ) परहेज़गारों ही के वास्ते हैं
وَإِلَىٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًا ۚ قَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُوا اللَّهَ مَا لَكُمْ مِنْ إِلَٰهٍ غَيْرُهُ ۖ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا مُفْتَرُونَ
और (हमने) क़ौमे आद के पास उनके भाई हूद को (पैग़म्बर बनाकर भेजा और) उन्होनें अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की परसतिश करों उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तुम बस निरे इफ़तेरा परदाज़ (झूठी बात बनाने वाले) हो
يَا قَوْمِ لَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْرًا ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى الَّذِي فَطَرَنِي ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं मॉगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्श के ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते
وَيَا قَوْمِ اسْتَغْفِرُوا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوبُوا إِلَيْهِ يُرْسِلِ السَّمَاءَ عَلَيْكُمْ مِدْرَارًا وَيَزِدْكُمْ قُوَّةً إِلَىٰ قُوَّتِكُمْ وَلَا تَتَوَلَّوْا مُجْرِمِينَ
और ऐ मेरी क़ौम अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में अपने (गुनाहों से) तौबा करो तो वह तुम पर मूसलाधार मेह आसमान से बरसाएगा ख़ुश्क साली न होगी और तुम्हारी क़ूवत (ताक़त) में और क़ूवत बढ़ा देगा और मुजरिम बन कर उससे मुँह न मोड़ों

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