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Surah Fatir Ayahs #31 Translated in Hindi

أَلَمْ تَرَ أَنَّ اللَّهَ أَنْزَلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَخْرَجْنَا بِهِ ثَمَرَاتٍ مُخْتَلِفًا أَلْوَانُهَا ۚ وَمِنَ الْجِبَالِ جُدَدٌ بِيضٌ وَحُمْرٌ مُخْتَلِفٌ أَلْوَانُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٌ
अब क्या तुमने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि यक़ीनन खुदा ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर हम (खुदा) ने उसके ज़रिए से तरह-तरह की रंगतों के फल पैदा किए और पहाड़ों में क़तआत (टुकड़े रास्ते) हैं जिनके रंग मुख़तलिफ है कुछ तो सफेद (बुर्राक़) और कुछ लाल (लाल) और कुछ बिल्कुल काले सियाह
وَمِنَ النَّاسِ وَالدَّوَابِّ وَالْأَنْعَامِ مُخْتَلِفٌ أَلْوَانُهُ كَذَٰلِكَ ۗ إِنَّمَا يَخْشَى اللَّهَ مِنْ عِبَادِهِ الْعُلَمَاءُ ۗ إِنَّ اللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ
और इसी तरह आदमियों और जानवरों और चारपायों की भी रंगते तरह-तरह की हैं उसके बन्दों में ख़ुदा का ख़ौफ करने वाले तो बस उलेमा हैं बेशक खुदा (सबसे) ग़ालिब और बख्शने वाला है
إِنَّ الَّذِينَ يَتْلُونَ كِتَابَ اللَّهِ وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَأَنْفَقُوا مِمَّا رَزَقْنَاهُمْ سِرًّا وَعَلَانِيَةً يَرْجُونَ تِجَارَةً لَنْ تَبُورَ
बेशक जो लोग Âुदा की किताब पढ़ा करते हैं और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते हैं और जो कुछ हमने उन्हें अता किया है उसमें से छिपा के और दिखा के (खुदा की राह में) देते हैं वह यक़ीनन ऐसे व्यापार का आसरा रखते हैं
لِيُوَفِّيَهُمْ أُجُورَهُمْ وَيَزِيدَهُمْ مِنْ فَضْلِهِ ۚ إِنَّهُ غَفُورٌ شَكُورٌ
जिसका कभी टाट न उलटेगा ताकि खुदा उन्हें उनकी मज़दूरियाँ भरपूर अता करे बल्कि अपने फज़ल (व करम) से उसे कुछ और बढ़ा देगा बेशक वह बड़ा बख्शने वाला है (और) बड़ा क़द्रदान है
وَالَّذِي أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ مِنَ الْكِتَابِ هُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِمَا بَيْنَ يَدَيْهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ بِعِبَادِهِ لَخَبِيرٌ بَصِيرٌ
और हमने जो किताब तुम्हारे पास ''वही'' के ज़रिए से भेजी वह बिल्कुल ठीक है और जो (किताबें इससे पहले की) उसके सामने (मौजूद) हैं उनकी तसदीक़ भी करती हैं - बेशक खुदा अपने बन्दों (के हालात) से खूब वाक़िफ है (और) देख रहा है

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