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Surah Az-Zamar Ayahs #29 Translated in Hindi

كَذَّبَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَأَتَاهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُونَ
जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया तो उन पर अज़ाब इस तरह आ पहुँचा कि उन्हें ख़बर भी न हुई
فَأَذَاقَهُمُ اللَّهُ الْخِزْيَ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۖ وَلَعَذَابُ الْآخِرَةِ أَكْبَرُ ۚ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ
तो खुदा ने उन्हें (इसी) दुनिया की ज़िन्दगी में रूसवाई की लज्ज़त चखा दी और आख़ेरत का अज़ाब तो यक़ीनी उससे कहीं बढ़कर है काश ये लोग ये बात जानते
وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِي هَٰذَا الْقُرْآنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
और हमने तो इस क़ुरान में लोगों के (समझाने के) वास्ते हर तरह की मिसाल बयान कर दी है ताकि ये लोग नसीहत हासिल करें
قُرْآنًا عَرَبِيًّا غَيْرَ ذِي عِوَجٍ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ
(हम ने तो साफ और सलीस) एक अरबी कुरान (नाज़िल किया) जिसमें ज़रा भी कजी (पेचीदगी) नहीं
ضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا رَجُلًا فِيهِ شُرَكَاءُ مُتَشَاكِسُونَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِرَجُلٍ هَلْ يَسْتَوِيَانِ مَثَلًا ۚ الْحَمْدُ لِلَّهِ ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
ताकि ये लोग (समझकर) खुदा से डरे ख़ुदा ने एक मिसाल बयान की है कि एक शख्स (ग़ुलाम) है जिसमें कई झगड़ालू साझी हैं और एक ज़ालिम है कि पूरा एक शख्स का है उन दोनों की हालत यकसाँ हो सकती हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें अक्सर इतना भी नहीं जानते

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