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Surah An-Nisa Ayahs #100 Translated in Hindi

دَرَجَاتٍ مِنْهُ وَمَغْفِرَةً وَرَحْمَةً ۚ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا
(यानी उन्हें) अपनी तरफ़ से बड़े बड़े दरजे और बख्शिश और रहमत (अता फ़रमाएगा) और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
إِنَّ الَّذِينَ تَوَفَّاهُمُ الْمَلَائِكَةُ ظَالِمِي أَنْفُسِهِمْ قَالُوا فِيمَ كُنْتُمْ ۖ قَالُوا كُنَّا مُسْتَضْعَفِينَ فِي الْأَرْضِ ۚ قَالُوا أَلَمْ تَكُنْ أَرْضُ اللَّهِ وَاسِعَةً فَتُهَاجِرُوا فِيهَا ۚ فَأُولَٰئِكَ مَأْوَاهُمْ جَهَنَّمُ ۖ وَسَاءَتْ مَصِيرًا
बेशक जिन लोगों की क़ब्जे रूह फ़रिश्ते ने उस वक़त की है कि (दारूल हरब में पड़े) अपनी जानों पर ज़ुल्म कर रहे थे और फ़रिश्ते कब्जे रूह के बाद हैरत से कहते हैं तुम किस (हालत) ग़फ़लत में थे तो वह (माज़ेरत के लहजे में) कहते है कि हम तो रूए ज़मीन में बेकस थे तो फ़रिश्ते कहते हैं कि ख़ुदा की (ऐसी लम्बी चौड़ी) ज़मीन में इतनी सी गुन्जाइश न थी कि तुम (कहीं) हिजरत करके चले जाते पस ऐसे लोगों का ठिकाना जहन्नुम है और वह बुरा ठिकाना है
إِلَّا الْمُسْتَضْعَفِينَ مِنَ الرِّجَالِ وَالنِّسَاءِ وَالْوِلْدَانِ لَا يَسْتَطِيعُونَ حِيلَةً وَلَا يَهْتَدُونَ سَبِيلًا
मगर जो मर्द और औरतें और बच्चे इस क़दर बेबस हैं कि न तो (दारूल हरब से निकलने की) काई तदबीर कर सकते हैं और उनकी रिहाई की कोई राह दिखाई देती है
فَأُولَٰئِكَ عَسَى اللَّهُ أَنْ يَعْفُوَ عَنْهُمْ ۚ وَكَانَ اللَّهُ عَفُوًّا غَفُورًا
तो उम्मीद है कि ख़ुदा ऐसे लोगों से दरगुज़रे और ख़ुदा तो बड़ा माफ़ करने वाला और बख्शने वाला है
وَمَنْ يُهَاجِرْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ يَجِدْ فِي الْأَرْضِ مُرَاغَمًا كَثِيرًا وَسَعَةً ۚ وَمَنْ يَخْرُجْ مِنْ بَيْتِهِ مُهَاجِرًا إِلَى اللَّهِ وَرَسُولِهِ ثُمَّ يُدْرِكْهُ الْمَوْتُ فَقَدْ وَقَعَ أَجْرُهُ عَلَى اللَّهِ ۗ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا
और जो शख्स ख़ुदा की राह में हिजरत करेगा तो वह रूए ज़मीन में बा फ़राग़त (चैन से रहने सहने के) बहुत से कुशादा मक़ाम पाएगा और जो शख्स अपने घर से जिलावतन होके ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ़ निकल ख़ड़ा हुआ फिर उसे (मंज़िले मक़सूद) तक पहुंचने से पहले मौत आ जाए तो ख़ुदा पर उसका सवाब लाज़िम हो गया और ख़ुदा तो बड़ा बख्श ने वाला मेहरबान है ही

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