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Surah An-Naml Ayahs #44 Translated in Hindi

قَالَ الَّذِي عِنْدَهُ عِلْمٌ مِنَ الْكِتَابِ أَنَا آتِيكَ بِهِ قَبْلَ أَنْ يَرْتَدَّ إِلَيْكَ طَرْفُكَ ۚ فَلَمَّا رَآهُ مُسْتَقِرًّا عِنْدَهُ قَالَ هَٰذَا مِنْ فَضْلِ رَبِّي لِيَبْلُوَنِي أَأَشْكُرُ أَمْ أَكْفُرُ ۖ وَمَنْ شَكَرَ فَإِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهِ ۖ وَمَنْ كَفَرَ فَإِنَّ رَبِّي غَنِيٌّ كَرِيمٌ
इस पर अभी सुलेमान कुछ कहने न पाए थे कि वह शख्स (आसिफ़ बिन बरख़िया) जिसके पास किताबे (ख़ुदा) का किस कदर इल्म था बोला कि मै आप की पलक झपकने से पहले तख्त को आप के पास हाज़िर किए देता हूँ (बस इतने ही में आ गया) तो जब सुलेमान ने उसे अपने पास मौजूद पाया तो कहने लगे ये महज़ मेरे परवरदिगार का फज़ल व करम है ताकि वह मेरा इम्तेहान ले कि मै उसका शुक्र करता हूँ या नाशुक्री करता हूँ और जो कोई शुक्र करता है वह अपनी ही भलाई के लिए शुक्र करता है और जो शख्स ना शुक्री करता है तो (याद रखिए) मेरा परवरदिगार यक़ीनन बेपरवा और सख़ी है
قَالَ نَكِّرُوا لَهَا عَرْشَهَا نَنْظُرْ أَتَهْتَدِي أَمْ تَكُونُ مِنَ الَّذِينَ لَا يَهْتَدُونَ
(उसके बाद) सुलेमान ने कहा कि उसके तख्त में (उसकी अक्ल के इम्तिहान के लिए) तग़य्युर तबददुल कर दो ताकि हम देखें कि फिर भी वह समझ रखती है या उन लोगों में है जो कुछ समझ नहीं रखते
فَلَمَّا جَاءَتْ قِيلَ أَهَٰكَذَا عَرْشُكِ ۖ قَالَتْ كَأَنَّهُ هُوَ ۚ وَأُوتِينَا الْعِلْمَ مِنْ قَبْلِهَا وَكُنَّا مُسْلِمِينَ
(चुनान्चे ऐसा ही किया गया) फिर जब बिलक़ीस (सुलेमान के पास) आयी तो पूछा गया कि तुम्हारा तख्त भी ऐसा ही है वह बोली गोया ये वही है (फिर कहने लगी) हमको तो उससे पहले ही (आपकी नुबूवत) मालूम हो गयी थी और हम तो आपके फ़रमाबरदार थे ही
وَصَدَّهَا مَا كَانَتْ تَعْبُدُ مِنْ دُونِ اللَّهِ ۖ إِنَّهَا كَانَتْ مِنْ قَوْمٍ كَافِرِينَ
और ख़ुदा के सिवा जिसे वह पूजती थी सुलेमान ने उससे उसे रोक दिया क्योंकि वह काफिर क़ौम की थी (और आफताब को पूजती थी)
قِيلَ لَهَا ادْخُلِي الصَّرْحَ ۖ فَلَمَّا رَأَتْهُ حَسِبَتْهُ لُجَّةً وَكَشَفَتْ عَنْ سَاقَيْهَا ۚ قَالَ إِنَّهُ صَرْحٌ مُمَرَّدٌ مِنْ قَوَارِيرَ ۗ قَالَتْ رَبِّ إِنِّي ظَلَمْتُ نَفْسِي وَأَسْلَمْتُ مَعَ سُلَيْمَانَ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
फिर उससे कहा गया कि आप अब महल मे चलिए तो जब उसने महल (में शीशे के फर्श) को देखा तो उसको गहरा पानी समझी (और गुज़रने के लिए इस तरह अपने पाएचे उठा लिए कि) अपनी दोनों पिन्डलियाँ खोल दी सुलेमान ने कहा (तुम डरो नहीं) ये (पानी नहीं है) महल है जो शीशे से मढ़ा हुआ है (उस वक्त तम्बीह हुई और) अर्ज़ की परवरदिगार मैने (आफताब को पूजा कर) यक़ीनन अपने ऊपर ज़ुल्म किया

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