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Surah An-Nahl Ayahs #75 Translated in Hindi

وَاللَّهُ فَضَّلَ بَعْضَكُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ فِي الرِّزْقِ ۚ فَمَا الَّذِينَ فُضِّلُوا بِرَادِّي رِزْقِهِمْ عَلَىٰ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُمْ فَهُمْ فِيهِ سَوَاءٌ ۚ أَفَبِنِعْمَةِ اللَّهِ يَجْحَدُونَ
और ख़ुदा ही ने तुममें से बाज़ को बाज़ पर रिज़क (दौलत में) तरजीह दी है फिर जिन लोगों को रोज़ी ज्यादा दी गई है वह लोग अपनी रोज़ी में से उन लोगों को जिन पर उनका दस्तरस (इख्तेयार) है (लौन्डी ग़ुलाम वग़ैरह) देने वाला नहीं (हालॉकि इस माल में तो सब के सब मालिक गुलाम वग़ैरह) बराबर हैं तो क्या ये लोग ख़ुदा की नेअमत के मुन्किर हैं
وَاللَّهُ جَعَلَ لَكُمْ مِنْ أَنْفُسِكُمْ أَزْوَاجًا وَجَعَلَ لَكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ بَنِينَ وَحَفَدَةً وَرَزَقَكُمْ مِنَ الطَّيِّبَاتِ ۚ أَفَبِالْبَاطِلِ يُؤْمِنُونَ وَبِنِعْمَتِ اللَّهِ هُمْ يَكْفُرُونَ
और ख़ुदा ही ने तुम्हारे लिए बीबियाँ तुम ही में से बनाई और उसी ने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी बीवियों से बेटे और पोते पैदा किए और तुम्हें पाक व पाकीज़ा रोज़ी खाने को दी तो क्या ये लोग बिल्कुल बातिल (सुल्तान बुत वग़ैरह) पर ईमान रखते हैं और ख़ुदा की नेअमत (वहदानियत वग़ैरह से) इन्कार करते हैं
وَيَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَمْلِكُ لَهُمْ رِزْقًا مِنَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ شَيْئًا وَلَا يَسْتَطِيعُونَ
और ख़ुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ की परसतिश करते हैं जो आसमानों और ज़मीन में से उनको रिज़क़ देने का कुछ भी न एख्तियार रखते हैं और न कुदरत हासिल कर सकते हैं
فَلَا تَضْرِبُوا لِلَّهِ الْأَمْثَالَ ۚ إِنَّ اللَّهَ يَعْلَمُ وَأَنْتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
तो तुम (दुनिया के लोगों पर कयास करके ख़ुद) मिसालें न गढ़ो बेशक ख़ुदा (सब कुछ) जानता है और तुम नहीं जानते
ضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا عَبْدًا مَمْلُوكًا لَا يَقْدِرُ عَلَىٰ شَيْءٍ وَمَنْ رَزَقْنَاهُ مِنَّا رِزْقًا حَسَنًا فَهُوَ يُنْفِقُ مِنْهُ سِرًّا وَجَهْرًا ۖ هَلْ يَسْتَوُونَ ۚ الْحَمْدُ لِلَّهِ ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
एक मसल ख़ुदा ने बयान फरमाई कि एक ग़ुलाम है जो दूसरे के कब्जे में है (और) कुछ भी एख्तियार नहीं रखता और एक शख़्श वह है कि हमने उसे अपनी बारगाह से अच्छी (खासी) रोज़ी दे रखी है तो वह उसमें से छिपा के दिखा के (ग़रज़ हर तरह ख़ुदा की राह में) ख़र्च करता है क्या ये दोनो बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह (कि वह भी उसके मुक़र्रर हैं) मगर उनके बहुतेरे (इतना भी) नहीं जानते

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